लखनऊ/अंतरिक्ष स्टेशन, 14 जुलाई:
जब कोई भारतीय अंतरिक्ष में जाकर देश का नाम रोशन करता है, तो यह केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं होती — यह पूरे देश की भावनाओं, उम्मीदों और आत्मसम्मान की उड़ान बन जाती है। कुछ ऐसा ही हुआ जब भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से भारत को सलाम किया और कहा:
"आज का भारत आत्मविश्वासी, निडर और गर्व से भरा है। इसलिए आज का भारत भी सारे जहाँ से अच्छा लगता है।"
धरती से लाखों किलोमीटर दूर, दिल भारत के साथ
शुभांशु शुक्ला, जो हाल ही में Axiom Space के अंतरिक्ष मिशन Axiom-4 के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से जुड़े, अब सफलतापूर्वक मिशन पूरा कर पृथ्वी की ओर लौटने की तैयारी कर चुके हैं। अपने विदाई संदेश में उन्होंने भारत और भारतीयों के लिए जो शब्द कहे, वह पूरे देश को गौरव से भरने वाले हैं।
उन्होंने कहा,
"मेरी यह यात्रा अविश्वसनीय रही। मैं कई अनुभव, यादें और सीख लेकर लौट रहा हूँ।"
राकेश शर्मा की विरासत को आगे बढ़ाया
1984 में जब राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष से कहा था, "सारे जहाँ से अच्छा", तब भारत ने पहली बार खुद को अंतरिक्ष में महसूस किया था। 40 साल बाद शुभांशु ने उसी भावना को आगे बढ़ाते हुए कहा,
"आज का भारत भी सारे जहाँ से अच्छा है। यह भारत आत्मनिर्भर है, महत्वाकांक्षी है, और भविष्य के लिए तैयार है।"
विज्ञान, संस्कृति और भावनाओं का संगम
शुभांशु का मिशन सिर्फ़ तकनीकी परीक्षणों तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने अंतरिक्ष में भारतीय फसलों जैसे मूंग और मेथी पर रिसर्च किया — ताकि भविष्य में स्पेस मिशनों में भारतीय खानपान को भी शामिल किया जा सके।
उन्होंने मज़ाकिया लहजे में कहा:
"अब जब मैं वापस लौटूंगा, तो सबसे पहले माँ के हाथ की बनी खिचड़ी खाऊंगा।"
यह बात सुनकर लाखों भारतीयों के चेहरे पर मुस्कान आ गई।
🇮🇳 एक लखनऊवासी जो देश का गौरव बना
उत्तर प्रदेश के लखनऊ से ताल्लुक रखने वाले शुभांशु शुक्ला बचपन से ही अंतरिक्ष और विज्ञान में गहरी दिलचस्पी रखते थे। उन्होंने भारतीय वायुसेना में उड़ान भरते-भरते अब अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को छू लिया है। यह सफलता केवल उनकी नहीं, बल्कि हर उस युवा की प्रेरणा है जो बड़े सपने देखता है।