रांची: महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के उद्देश्य से शुरू की गई झारखंड सरकार की मुख्यमंत्री मंइया सम्मान योजना अब विवादों के घेरे में है। योजना की शुरुआत चुनावी वर्ष में महिलाओं को ₹2500 प्रतिमाह सहायता देने के वादे के साथ की गई थी, जिसे सरकार का "गेम चेंजर" माना गया। लेकिन अब सामने आ रही गड़बड़ियाँ, फर्जीवाड़े और तकनीकी खामियाँ इस योजना की साख पर सवाल खड़े कर रही हैं।
फर्जी दस्तावेजों से लाभ उठाने वाले सामने आए
पूर्वी सिंहभूम, बोकारो और रांची जिलों में सैकड़ों फर्जी लाभार्थी सामने आए हैं। हाल ही में जांच में पाया गया कि एक ही बैंक खाते से 95 से अधिक महिलाओं के नाम से आवेदन किया गया था। वहीं, रांची में एक व्यक्ति ने 112 महिलाओं की योजना राशि अपने खाते में स्थानांतरित करा ली।
इतना ही नहीं, पूर्वी सिंहभूम जिले के हेंदलजुड़ी पंचायत में 172 फर्जी लाभार्थी पकड़े गए हैं, जिन्होंने बिहार और बंगाल के फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए योजना का लाभ लिया। प्रशासन ने एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
तकनीकी समस्याएं और असमान वितरण
राज्यभर से महिलाओं ने शिकायत की है कि उन्हें कई महीनों से राशि नहीं मिल रही। पोस्ट ऑफिस लिंकिंग, आधार मिसमैच, बैंक खाता नंबर की गलतियों के चलते लाखों महिलाएं योजना से वंचित हैं। एक अनुमान के अनुसार 18 लाख से अधिक महिलाएं अब तक योजना से लाभ नहीं उठा सकीं।
कुछ जिलों में ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहाँ योग्य महिलाओं को छोड़कर अपात्र लोगों को राशि हस्तांतरित कर दी गई। कई महिलाओं ने योजना में भेदभाव और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए जिला कार्यालयों के सामने प्रदर्शन भी किए हैं।
राजनीतिक बयानबाज़ी तेज
विपक्षी दलों ने सरकार पर योजना के ज़रिए मतदाताओं को लुभाने और चुनावी फायदा उठाने का आरोप लगाया है। भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा, “अगर योजना सबके लिए है, तो फिर आधी आबादी को ही क्यों नहीं मिल रही?” उन्होंने सरकार से योजना की पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग की है।
सरकार की सफाई और कार्रवाई
राज्य सरकार ने फर्जी लाभार्थियों की सूची तैयार कर बैंक खातों को फ्रीज़ करना शुरू कर दिया है। अधिकारियों पर भी कार्रवाई के संकेत दिए गए हैं। महिला, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग ने कहा कि “गलतियों को सुधारने का काम चल रहा है और असली लाभार्थियों को जल्द ही पैसा मिलेगा।”