रांची, जुलाई 2025 — झारखंड की बारिशों के साथ-साथ जंगलों की मिट्टी में उगने वाला एक अनोखा स्वाद फिर से चर्चा में है — रुगड़ा, जिसे स्थानीय लोग “शाकाहारी मटन” भी कहते हैं। इस बार रुगड़ा अपनी खासियत के साथ-साथ तेजी से बढ़ती कीमतों के कारण भी सुर्खियों में है।
क्या है रुगड़ा?
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रुगड़ा एक जंगली मशरूम है, जो केवल बरसात के मौसम में झारखंड के साल के पेड़ों के नीचे उगता है।
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इसकी बनावट अंडाकार और सतह खुरदरी होती है, जबकि अंदर से यह गाढ़े रंग का होता है।
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इसमें मटन जैसी गंध और स्वाद होता है, इसलिए इसे “शाकाहारी मटन” कहा जाता है।
कीमतों में भारी उछाल
इस साल झारखंड के कई जिलों में रुगड़ा की कीमतों में तेज़ी देखी जा रही है:
जिला | कीमत (प्रति किलोग्राम) |
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रांची | ₹800 – ₹1000 |
बोकारो | ₹700 – ₹900 |
गुमला | ₹600 – ₹850 |
“हम जंगलों से इसे चुनकर लाते हैं। इसमें मेहनत ज़्यादा लगती है और जल्दी खराब भी हो जाता है, इसलिए थोड़ा महंगा बिकता है,” — सरला देवी, जो रांची के लालपुर बाजार में रुगड़ा बेचती हैं।
सिर्फ 2 महीने का मेहमान
रुगड़ा की उपलब्धता बहुत सीमित है — यह केवल जुलाई और अगस्त में कुछ हफ्तों के लिए ही मिलता है। साथ ही यह 2-3 दिन में खराब हो जाता है, जिससे इसकी मांग और भी बढ़ जाती है।
इस वजह से लोग इसे सूखा कर या फ्रीज़ करके बाद में इस्तेमाल के लिए भी सहेजते हैं।
स्वाद और सेहत दोनों
रुगड़ा को झारखंड में खास सब्जी के रूप में पकाया जाता है — प्याज, टमाटर और देसी मसालों के साथ मटन की तरह। इसे अक्सर चावल या रोटी के साथ परोसा जाता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार रुगड़ा:
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प्रोटीन से भरपूर होता है
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डायबिटीज और दिल के रोग में फायदेमंद माना जाता है
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इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है
क्या कीमतें और बढ़ेंगी?
इस साल भारी बारिश और जंगलों में मुश्किल पहुंच के कारण रुगड़ा की उपलब्धता और सीमित हो गई है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार जब तक इसकी खेती का कोई तरीका नहीं निकलता, इसकी कीमतें हर साल इसी तरह ऊँची रहेंगी।
“अगर सरकार या वैज्ञानिक संस्थान रुगड़ा की खेती की दिशा में काम करें, तो यह आम लोगों की पहुँच में आ सकता है,” — डॉ. विनय उरांव, खाद्य संस्कृति विशेषज्ञ, रांची।