यमन में फांसी की सज़ा का सामना कर रहीं केरल की नर्स निमिषा प्रिया को राहत मिली है। ग्रैंड मुफ्ती ऑफ इंडिया शेख अबूबकर अहमद के हस्तक्षेप के बाद उनकी निर्धारित फांसी को स्थगित कर दिया गया है।
यह महत्वपूर्ण कदम तब आया जब पुथुपल्ली के विधायक चांडी ओम्मेन ने पिछले सप्ताह ग्रैंड मुफ्ती से संपर्क किया और उनसे मदद मांगी। मुफ्ती शेख अबूबकर ने यमन के प्रमुख सूफी विद्वान हबीब उमर बिन हफीज से संपर्क साधा, जिन्होंने तत्परता से यमनी अधिकारियों और पीड़ित परिवार के साथ मध्यस्थता शुरू की।
क्या है पूरा मामला?
निमिषा प्रिया, केरल के पलक्कड़ जिले की कोलेंगोड निवासी एक 38 वर्षीय नर्स हैं। वर्ष 2017 में यमनी नागरिक तलाल अब्दुल दयान की हत्या के मामले में उन्हें दोषी ठहराया गया था। वर्ष 2020 में यमन की अदालत ने उन्हें मौत की सज़ा सुनाई, जिसे 2023 में सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने बरकरार रखा था।
वर्तमान में वह हौती विद्रोहियों के कब्ज़े वाले सना शहर की जेल में बंद हैं।
मध्यस्थता से खुला संवाद का रास्ता
ग्रैंड मुफ्ती की अपील पर हबीब उमर के प्रतिनिधि हबीब अब्दुर्रहमान अली मशहूर ने यमन के उत्तरी क्षेत्र में एक आपात बैठक बुलाई, जिसमें स्थानीय न्यायालय के अधिकारी, जनजातीय नेता और उच्च न्यायाधीश शामिल थे।
इस बैठक के दौरान पीड़ित तलाल के परिवार ने संकेत दिए कि वे अपने निर्णय पर दोबारा विचार कर सकते हैं।
यमन के होदेदा राज्य के मुख्य न्यायाधीश और शूरा परिषद के सदस्य जस्टिस मोहम्मद बिन अमीन ने इस संवाद को औपचारिक रूप से अदालत में प्रस्तुत किया, जिससे अदालत ने 16 जुलाई को तय हुई फांसी पर रोक लगा दी।
फैसला: राहत लेकिन अस्थायी
विशेष आपराधिक अदालत ने न्यायाधीश रिज़वान अहमद अल-वाजरी और स्वारी मूदीन मुफद्दल के हस्ताक्षरित आदेश के माध्यम से फांसी स्थगित करने का निर्णय सुनाया। यह फैसला समझौते की प्रक्रिया के बीच एक अस्थायी राहत है।
ग्रैंड मुफ्ती शेख अबूबकर ने कहा:
"यह मामला यमन की जनजातियों के बीच बेहद संवेदनशील रहा है। हाल ही तक पीड़ित परिवार से संवाद भी संभव नहीं था। लेकिन अब जो प्रगति हुई है, उससे उम्मीद की किरण नजर आ रही है।"
उन्होंने इस निर्णय की जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय को भी दी है।
कूटनीति और मानवीय हस्तक्षेप का असर
यह मामला अब राजनयिक और मानवीय दोनों ही स्तरों पर अत्यधिक ध्यान आकर्षित कर रहा है। भारत सरकार और सामाजिक संगठनों की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं कि पीड़ित परिवार के साथ 'दिया' (ब्लड मनी) समझौता हो जाए और निमिषा की जान बचाई जा सके।
ग्रैंड मुफ्ती की मध्यस्थता से मिली यह राहत निमिषा प्रिया और उनके परिवार के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है। अब यह देखना होगा कि क्या यह अस्थायी स्थगन स्थायी राहत में बदलता है। भारत सरकार और सामाजिक संगठनों की भूमिका इस मोड़ पर और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।