नई दिल्ली / जालंधर, 16 जुलाई 2025:
दुनिया के सबसे बुज़ुर्ग मैराथन धावक और फिटनेस के प्रतीक फौजा सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। 114 साल की उम्र में, उन्होंने एक सड़क हादसे में अंतिम सांस ली। लेकिन उनके जीवन की कहानी महज़ रिकॉर्ड्स की नहीं थी — वो हौसले, संकल्प और प्रेरणा का जीता-जागता उदाहरण थे।
हौसले की दौड़: 89 से 102 साल तक की मैराथन यात्रा
फौजा सिंह ने दौड़ना तब शुरू किया, जब अधिकतर लोग रिटायरमेंट के बाद विश्राम चुनते हैं। 89 साल की उम्र में अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय मैराथन में भाग लेने के बाद उन्होंने 2000 से 2013 के बीच लंदन, न्यूयॉर्क, टोरंटो और हांगकांग जैसी जगहों पर मैराथन पूरी कीं।
वो तब वैश्विक चर्चा में आए जब उन्होंने 100 वर्ष की उम्र में टोरंटो मैराथन पूरी कर इतिहास रच दिया। इस अनोखी उपलब्धि के चलते उन्हें दुनिया ने "The Turbaned Tornado" के नाम से जाना।
प्रमुख रिकॉर्ड्स |
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पहली मैराथन: लंदन, वर्ष 2000 (उम्र 89) |
100 वर्ष की उम्र में टोरंटो मैराथन पूरी |
Guinness World Records में कई बार नाम दर्ज |
Nike और Adidas जैसे ब्रांड्स के अभियान का चेहरा बने |
हालिया दुर्घटना: एक प्रेरणा का अंत
सोमवार, 14 जुलाई 2025 को फौजा सिंह जालंधर के पास अपने गांव बीआस पिंड में रोज़ाना की तरह टहल रहे थे। इसी दौरान एक सफेद टोयोटा फॉर्च्यूनर वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्होंने वहीं दम तोड़ दिया। यह हादसा दोपहर करीब 3:30 बजे हुआ।
पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपी एनआरआई ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया है और वाहन भी जब्त कर लिया गया है। मामले की जांच जारी है।
🇮🇳 देश-दुनिया से श्रद्धांजलि
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताते हुए कहा:
"फौजा सिंह जी एक प्रेरणा थे — उन्होंने दिखाया कि उम्र कभी बाधा नहीं होती। उनका जीवन साहस, अनुशासन और सकारात्मकता का प्रतीक है।"
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राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने कहा:
"रंगला पंजाब मार्च में उनके साथ चलना मेरे जीवन का सौभाग्य रहा।"
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जीवनी लेखक खुशवंत सिंह ने ट्वीट किया:
“My Turbaned Tornado is no more… Rest in peace, my dear Fauja.”
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दिलजीत दोसांझ और कई सेलिब्रिटीज ने सोशल मीडिया पर भावुक श्रद्धांजलि दी:
"Baba Fauja Singh Ji 🙏 You inspired generations."
एक ग्लोबल आइकन
फौजा सिंह महज़ एक एथलीट नहीं थे, बल्कि बुज़ुर्गों, युवाओं, फिटनेस उत्साही और समाज के हर वर्ग के लिए एक ‘ग्लोबल आइकन’ थे। उनका मानना था:
"जब तक तुम्हारा मन युवा है, उम्र कोई मायने नहीं रखती।"
114 साल की उम्र में भी जीवन के लिए उनका प्रेम और ऊर्जा अतुलनीय थी। वे हमें सिखा गए कि शरीर थक सकता है, लेकिन आत्मा अगर ज़िंदा हो, तो उम्र कभी रोक नहीं बनती।
उनकी मृत्यु केवल एक व्यक्ति का अंत नहीं, बल्कि एक युग का अंत है। लेकिन उनकी दौड़ जारी रहेगी — हमारे दिलों में, हमारी प्रेरणाओं में।