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निमिषा प्रिया की फांसी टली, 94 वर्षीय मुफ्ती कंथापुरम अबूबकर मुसलियार ने निभाई निर्णायक भूमिका

Published on July 17, 2025 by Priti Kumari

भारतीय नर्स निमिषा प्रिया, जिन्हें यमन में हत्या के एक मामले में फांसी की सजा सुनाई गई थी, फिलहाल मौत के मुंह से बाहर आ गई हैं। 16 जुलाई को उनकी सजा पर अमल होना था, लेकिन ऐन वक्त पर उसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। इस राहत के पीछे जिस नाम की सबसे अधिक चर्चा हो रही है, वह है — 94 वर्षीय धर्मगुरु कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार

क्या है मामला?

निमिषा प्रिया केरल की रहने वाली एक नर्स हैं। उन पर 2017 में यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप लगा और 2020 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। इस फैसले के खिलाफ अपील खारिज हो चुकी थी और यमन के शरीया कानून के तहत अब बचाव का एकमात्र रास्ता था — 'ब्लड मनी' यानी मृतक के परिवार को मुआवज़ा देकर माफ़ी लेना।

कंथापुरम मुसलियार की मध्यस्थता बनी राहत की वजह

भारत के प्रमुख सूफी इस्लामी विद्वान और ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलेमा के महासचिव कंथापुरम अबूबकर मुसलियार ने यमन के शीर्ष धर्मगुरु शेख हबीब उमर बिन हाफिज से संपर्क साधा और मामले में मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की अपील की।

मुसलियार ने व्यक्तिगत प्रयासों से ब्लड मनी की पेशकश पर वार्ता शुरू करवाई और शांति व क्षमा के संदेश के साथ यमनी इस्लामिक नेताओं से आग्रह किया कि निमिषा को एक और मौका दिया जाए।

सरकार और नागरिक प्रयास भी रहे अहम

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, विदेश मंत्रालय और भारत सरकार की अन्य संस्थाओं ने भी यमन सरकार से संपर्क बनाए रखा। इसके साथ ही 'सेव निमिषा' अभियान के तहत हजारों लोगों ने सज़ा रोकने की मांग की थी।

हालात अभी भी पेचीदा

हालांकि फांसी टाल दी गई है, लेकिन मृतक के परिवार ने अब तक माफी देने से इनकार किया है। उनका कहना है कि वे केवल "क़िसास" चाहते हैं — यानी हत्या के बदले हत्या। ऐसे में कानूनी प्रक्रिया अब भी जारी है, और अगले कदम की रूपरेखा साफ नहीं है।

कौन हैं कंथापुरम अबूबकर मुसलियार?

  • जन्म: 1931, कोझिकोड, केरल

  • भारत के वरिष्ठतम इस्लामी विद्वानों में गिने जाते हैं

  • 2014 में ISIS के खिलाफ फतवा जारी कर चुके हैं

  • अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक मंचों पर उनका सम्मान है

  • यमन में उन्हें "ग्रैंड मुफ्ती ऑफ इंडिया" के नाम से जाना जाता है

अब क्या आगे?

भारत सरकार और धर्मगुरु अब मृतक के परिवार से सीधी बातचीत की संभावनाओं को टटोल रहे हैं। माना जा रहा है कि यदि उचित मानवीय अपील और मुआवज़ा प्रस्ताव पेश किया जाए, तो एक बार फिर बातचीत के दरवाजे खुल सकते हैं।

Categories: अंतरराष्ट्रीय समाचार