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सोनम रघुवंशी का जेल में एक महीना: न पछतावा, न परिजन, बस एक रहस्यमय खामोशी

Published on July 21, 2025 by Priti Kumari

इंदौर के चर्चित राजा रघुवंशी हत्याकांड की मुख्य आरोपी सोनम रघुवंशी को जेल में एक महीना हो चुका है। हत्या की साजिश के आरोप में शिलांग जेल में बंद सोनम का यह एक महीना कई सवालों को जन्म दे रहा है। एक नवविवाहित महिला, जिसने अपने ही पति की हत्या की योजना बनाई — और अब जेल में बिल्कुल शांत, निस्पंद, और बिना किसी पछतावे के रह रही है।

परिवार से कोई संपर्क नहीं

जेल प्रशासन के अनुसार, सोनम को अपने परिवार से मिलने और बात करने की पूरी अनुमति है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि अब तक उसके परिवार से कोई भी उससे मिलने नहीं आया, न ही उसने फोन पर किसी से संपर्क किया है। एक महिला, जो अब तक सामाजिक रूप से संपन्न जीवन जी रही थी, आज जेल की चारदीवारी में पूरी तरह अकेली है।

न पछतावा, न अपराधबोध

NDTV की एक रिपोर्ट बताती है कि सोनम के व्यवहार में न कोई बदलाव है, न कोई पश्चाताप। वह रोज़ सुबह समय पर उठती है, तय दिनचर्या का पालन करती है और बाकी कैदियों से सामान्य रूप से मिलती-जुलती है। मगर जब बात पति राजा रघुवंशी की आती है, तो वह चुप्पी साध लेती है। इस खामोशी में शायद बहुत कुछ छिपा है।

अभी कोई काम नहीं, आगे मिल सकती है ट्रेनिंग

सोनम को अभी जेल में किसी तरह का काम नहीं सौंपा गया है। फिलहाल वह दो अन्य महिला कैदियों के साथ एक बैरक में रह रही है। जेल अधिकारियों के अनुसार, जल्द ही उसे सिलाई और अन्य कौशल की ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि वह अपने समय को रचनात्मक दिशा में लगा सके। उसे टीवी देखने की भी अनुमति मिली है।

शादी के नौ दिन बाद पति की हत्या

यह मामला तब सुर्खियों में आया जब 2 जून को मेघालय की एक खाई में राजा रघुवंशी की लाश मिली। शादी के महज 9 दिन बाद ही सोनम ने अपने प्रेमी राज और तीन अन्य लोगों के साथ मिलकर हत्या की साजिश रची थी। यह सुनियोजित और दिल दहला देने वाला अपराध था, जिसमें प्यार, धोखा और लालच के कई पहलू सामने आए।

ढाबे पर मिली बेहोश, फिर किया आत्मसमर्पण

7 जून को सोनम गाजीपुर के एक ढाबे पर बेहोशी की हालत में मिली। होश आने के बाद उसने खुद पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इसके बाद पुलिस ने उसके प्रेमी राज और अन्य तीनों आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया।

एक महीना बाद भी अनसुलझे हैं कई सवाल

सोनम रघुवंशी का यह एक महीना भले ही नियमों में बीता हो, लेकिन उसके व्यवहार ने अधिकारियों और जांच एजेंसियों को चौंका दिया है। न कोई ग़म, न कोई डर — जैसे उसे अपने किए का पूरा यकीन हो या शायद वह एक गहरे भावनात्मक शून्य में जा चुकी हो।

क्या सोनम को कभी पछतावा होगा?
क्या उसके परिवार की चुप्पी किसी और साजिश का संकेत है?
या फिर यह बस एक और क्राइम स्टोरी है, जिसकी फाइल कुछ महीने बाद बंद हो जाएगी?

इन सवालों के जवाब फिलहाल समय के पास हैं। लेकिन एक बात तय है — सोनम की खामोशी, इस हत्याकांड की सबसे तेज़ आवाज़ बन चुकी है।

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