Hindi Patrika

Gita Gopinath: From Delhi University to the Top of IMF, Now Returning to Harvard as Professor

Published on July 22, 2025 by Priti Kumari

नई दिल्ली – भारत की बेटी गीता गोपीनाथ एक बार फिर सुर्खियों में हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर जैसी अहम जिम्मेदारी निभाने के बाद अब वह फिर से शिक्षा के क्षेत्र में लौट रही हैं। 1 सितंबर 2025 से वह अमेरिका की प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के रूप में कार्यभार संभालेंगी। उनकी यह यात्रा, कोलकाता से दिल्ली विश्वविद्यालय और फिर वैश्विक आर्थिक संस्थाओं तक, लाखों युवाओं के लिए एक प्रेरणा है।

शिक्षा की नींव: मैसूर से दिल्ली तक का सफर

गीता गोपीनाथ का जन्म 8 दिसंबर 1971 को कोलकाता में हुआ, लेकिन उनकी परवरिश मैसूर में हुई। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज से 1992 में इकोनॉमिक्स में स्नातक किया। इसके बाद दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर डिग्री प्राप्त की।

यहीं उनकी मुलाकात इकबाल सिंह धालीवाल से हुई, जो आगे चलकर UPSC टॉपर बने और IAS बने। बाद में दोनों ने विवाह कर लिया।

गीता की प्रतिभा को देखते हुए उनके प्रोफेसर्स ने उन्हें अमेरिका की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज जैसे हार्वर्ड और प्रिंसटन के लिए प्रेरित किया। उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से 2001 में पीएचडी की डिग्री हासिल की।

शानदार करियर: IMF तक का सफर

  • 2001 में गीता ने शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में करियर शुरू किया।

  • 2010 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में टेन्योर प्रोफेसर बनीं।

  • 2019 में IMF की पहली महिला Chief Economist बनीं।

  • 2022 में उन्हें IMF का पहला Deputy Managing Director नियुक्त किया गया।

  • COVID-19 महामारी के दौरान उनका Pandemic Response Plan वैश्विक चर्चा का विषय बना।

IMF प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने गीता को "बेहतरीन लीडर और इंस्पिरेशनल थिंकर" बताया।

पारिवारिक जीवन: IAS टॉपर से विवाह

गीता के पति इकबाल सिंह धालीवाल 1996 में UPSC के टॉपर रहे। उन्होंने IAS बनने के बाद कुछ साल सेवा दी लेकिन फिर अमेरिका में उच्च शिक्षा और सामाजिक शोध के क्षेत्र में कार्य करना शुरू किया। आज वे MIT में पॉवर्टी एक्शन लैब के कार्यकारी निदेशक हैं।

हार्वर्ड में नई पारी

IMF में सात वर्षों की शानदार पारी के बाद गीता अब फिर से शिक्षा क्षेत्र में लौट रही हैं। 1 सितंबर 2025 से वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में Professor of Economics के तौर पर कार्यभार संभालेंगी। इससे पहले भी वह 2005 से 2022 तक हार्वर्ड में पढ़ा चुकी हैं।

 युवाओं के लिए मिसाल

गीता गोपीनाथ की कहानी दिखाती है कि यदि जुनून और लगन हो तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं। कोलकाता से निकलकर दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक संस्था IMF में नेतृत्व करना और फिर शिक्षा की सेवा में लौटना, यह एक असाधारण उपलब्धि है। वह हर उस छात्र और छात्रा के लिए प्रेरणा हैं जो बड़े सपने देखता है।

Categories: अंतरराष्ट्रीय समाचार