Hindi Patrika

कैप्टन सौरभ कालिया: कारगिल के पहले ‘वॉर हीरो’ के लिए न्याय की जंग अब भी जारी

Published on July 26, 2025 by Priti Kumari

कारगिल युद्ध में भारत ने अपने कई जांबाज सपूत खोए, लेकिन सबसे पहले शहीद होने वाले अधिकारी कैप्टन सौरभ कालिया की कहानी आज भी देशवासियों की आंखें नम कर देती है। 23 वर्षीय इस युवा अफसर ने अदम्य साहस के साथ दुश्मन का सामना किया, लेकिन उनके साथ हुई बर्बरता ने पूरे भारत को झकझोर कर रख दिया।

1999 के मई महीने में, सौरभ कालिया अपने पाँच साथियों के साथ कारगिल की चोटियों पर पेट्रोलिंग कर रहे थे, तभी उन्हें पाकिस्तानी सेना ने पकड़ लिया। कुछ हफ्तों बाद जब उनके शव भारत को सौंपे गए, तो उन पर हुए अत्याचारों के निशान साफ दिखाई दे रहे थे। यह घटना न सिर्फ मानवीय संवेदनाओं के खिलाफ थी, बल्कि यह युद्ध बंदियों से जुड़े अंतरराष्ट्रीय नियमों का सीधा उल्लंघन भी था।

आज, 25 साल बाद भी उनके पिता, श्री एन.के. कालिया, अपने बेटे को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय मंचों से कई बार अपील की है कि पाकिस्तान को इस क्रूरता के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए और इसे युद्ध अपराध घोषित किया जाए।

"ये सिर्फ मेरे बेटे की बात नहीं है," श्री कालिया कहते हैं, "यह हर उस सैनिक की गरिमा का सवाल है जो देश की रक्षा करते हुए दुश्मन की गिरफ्त में आता है। हमें यह तय करना होगा कि हमारे जवानों के साथ अमानवीय बर्ताव को हम चुपचाप सहन नहीं करेंगे।"

हालांकि अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई नहीं हुई है, लेकिन श्री कालिया की उम्मीद और हिम्मत आज भी उतनी ही मजबूत है जितनी 1999 में थी।

देश उन्हें याद करता है — न केवल एक बहादुर सिपाही के रूप में, बल्कि एक पिता की अडिग लड़ाई के प्रतीक के रूप में भी।

Categories: राष्ट्रीय समाचार