पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने गुरुवार, 8 अगस्त, 2024 को 80 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। उनके निधन से पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक युग का अंत हो गया।भट्टाचार्य ने 2000 से 2011 तक पश्चिम बंगाल के 7वें मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया, और राज्य के राजनीतिक परिदृश्य पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के एक दिग्गज, वे मार्क्सवादी विचारधाराओं के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे।
अपने कार्यकाल के दौरान, भट्टाचार्य ने पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से विभिन्न औद्योगीकरण नीतियों को लागू किया। हालाँकि, उनकी सरकार को विरोध प्रदर्शनों, विशेष रूप से नंदीग्राम और सिंगूर अशांति से निपटने के लिए कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। राजनीतिक हिंसा के आरोपों ने भी उनके प्रशासन को दागदार किया।
भट्टाचार्य अपनी सादगी भरी जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध थे, जो उनके मार्क्सवादी विश्वासों को दर्शाता था। उन्होंने अपनी साहित्यिक प्रतिभा को प्रदर्शित करते हुए कई किताबें लिखीं। गिरते स्वास्थ्य के बावजूद, वे अपने निधन तक राजनीति में लगे रहे।
2022 में, भट्टाचार्य को भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। खास बात यह है कि उन्होंने अपने सिद्धांतों पर कायम रहते हुए पुरस्कार लेने से मना कर दिया।
राजनेता और नागरिक समान रूप से बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर शोक व्यक्त कर रहे हैं। उनकी विरासत पश्चिम बंगाल के राजनीतिक विमर्श को प्रभावित करती रही है।