झारखंड के पलामू जिले में आबकारी विभाग के सिपाही पद की भर्ती के लिए शारीरिक परीक्षा के दौरान चार अभ्यर्थियों की मौत हो गई है। पिछले दो दिनों में यह दुखद घटनाएं घटी हैं, जिसमें कई अभ्यर्थी दौड़ के दौरान बेहोश हो गए थे। इन मौतों की वजह से प्रशासन की व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।
आबकारी कॉन्स्टेबल की भर्ती के लिए शारीरिक परीक्षण में, पुरुष अभ्यर्थियों को एक घंटे में 10 किलोमीटर और महिला अभ्यर्थियों को 40 मिनट में 5 किलोमीटर दौड़ना होता है। गुरुवार को अमरेश कुमार (19), जो बिहार के गया जिले का निवासी था, दौड़ के दौरान बेहोश हो गया और उसकी मौत हो गई। डॉक्टरी रिपोर्ट के अनुसार, उसकी मौत कार्डियक अरेस्ट के कारण हुई।
शुक्रवार को भी तीन अन्य अभ्यर्थियों की मौत हुई, जिनमें रांची के अजय कुमार महतो, छतरपुर के अरुण कुमार और गोड्डा के प्रदीप कुमार शामिल हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, इन मौतों के पीछे गर्मी और डी-हाइड्रेशन मुख्य कारण माने जा रहे हैं।
अभ्यर्थियों का आरोप है कि शारीरिक परीक्षण के लिए उपयोग किए जा रहे हवाई पट्टी पर दौड़ने की स्थिति अत्यंत कठिन थी, खासकर गर्मी के मौसम में। उनकी शिकायत है कि गर्मी और खराब ट्रैक के कारण दौड़ने में कठिनाई हो रही थी। इसके अलावा, दौड़ के दौरान बेहोश हुए अभ्यर्थियों के लिए तुरंत मेडिकल सहायता उपलब्ध नहीं थी।
झारखंड में लगभग 44 साल बाद आबकारी सिपाही की भर्ती की जा रही है। भर्ती प्रक्रिया में भाग ले रहे कई युवा इस नौकरी को पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन मृतकों के परिजनों ने आरोप लगाया है कि सही समय पर इलाज की कमी और खराब व्यवस्था के कारण ये हृदय विदारक घटनाएं घटी हैं।
अमरेश कुमार के परिवार ने कहा कि वह सरकारी नौकरी की तैयारी में जुटा था और उसके घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। उनके पिता और भाई मजदूरी और ऑटो चलाकर परिवार की जरूरतों को पूरा करते हैं। अमरेश की मौत के बाद परिवार ने आरोप लगाया कि सही इलाज की कमी के कारण उनकी जान बचाई जा सकती थी।
सांसद बीडी राम ने इस मुद्दे पर सरकार को जिम्मेदार ठहराया है और मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग की है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि परीक्षा के आयोजन के दौरान भारी कुव्यवस्था के चलते ये घटनाएं हुईं और इस मामले की गहराई से समीक्षा की जानी चाहिए।