सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजिरा द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ED) के समन को रद्द करने की याचिका को खारिज कर दिया। यह समन 10 सितंबर 2021 को दिल्ली में ED अधिकारियों के समक्ष पेश होने के लिए जारी किया गया था, और यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है।
कोर्ट ने PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट-2002) के तहत ED को दिए गए व्यापक अधिकारों की पुष्टि की। इसके तहत ED किसी भी व्यक्ति को जांच और अन्य उद्देश्यों के लिए समन जारी करने का अधिकार रखता है।
न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने कहा कि जो भी व्यक्ति समन किया जाता है, उसे उसका जवाब देना अनिवार्य है, चाहे वह पुरुष हो या महिला। यह कानून की धारा 160 के विपरीत है, जिसमें निर्दिष्ट किया गया है कि कुछ विशेष श्रेणियों के लोग (जैसे कि 15 वर्ष से कम आयु के पुरुष, 65 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष, महिलाएं, और मानसिक या शारीरिक रूप से अक्षम लोग) को किसी अन्य स्थान पर पेश होने के लिए नहीं कहा जा सकता।
कोर्ट ने यह निर्णय पारित करते हुए कहा कि Section 50 के तहत अधिकार प्राप्त अधिकारी किसी भी व्यक्ति को समन जारी कर सकते हैं, जिसका उपस्थिति आवश्यक हो। इस धारा के तहत जारी किए गए समन के खिलाफ कोई भी अवैधता नहीं पाई गई है, भले ही ED का एक कार्यालय कलकत्ता में भी है।
न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी द्वारा लिखा गया निर्णय इस प्रकार है, “Section 50 सक्षम प्राधिकृत अधिकारी को किसी भी व्यक्ति को समन जारी करने की अनुमति देता है, जिसकी उपस्थिति को साक्ष्य देने या किसी रिकॉर्ड को प्रस्तुत करने के लिए आवश्यक समझा जाता है।”