प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका दौरा हमेशा चर्चा का विषय रहता है, खासकर जब अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव नजदीक हों। 2019 में, जब मोदी ने अमेरिका के टेक्सास राज्य के ह्यूस्टन में आयोजित ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में कहा था, “अबकी बार ट्रम्प सरकार,” तो इसे अमेरिकी डेमोक्रेटिक पार्टी के खिलाफ और डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थन में देखा गया। उस समय अमेरिका में एक साल बाद चुनाव होने वाले थे। इस बयान के बाद, भारत-अमेरिका संबंधों पर वैश्विक चर्चा शुरू हो गई थी।
2023 का अमेरिकी दौरा: कमला की तारीफ
2023 में प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी संसद के जॉइंट सेशन को संबोधित किया। भाषण के दौरान उन्होंने कहा, “अमेरिका में लाखों लोग ऐसे हैं जिनकी जड़ें भारत में हैं। कई लोग गर्व के साथ इस सदन में बैठे हैं।” इस दौरान उन्होंने अचानक पीछे मुड़कर कमला हैरिस की तरफ इशारा किया और मुस्कुराते हुए कहा, “एक मेरे पीछे भी बैठी हैं।” इस टिप्पणी पर सदन में मौजूद सभी नेता खड़े होकर तालियां बजाने लगे, जिससे पूरा सदन गूंज उठा।
कमला और ट्रम्प का आमना-सामना
अमेरिका में 5 नवंबर 2024 को राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं, जिसमें कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रम्प मुख्य उम्मीदवार हैं। पीएम मोदी की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब चुनाव से ठीक दो महीने बचे हैं। भारतीय समुदाय (लगभग 50 लाख भारतीय मूल के लोग) अमेरिका में एक महत्वपूर्ण चुनावी ब्लॉक माने जाते हैं और मोदी का यहां आना इस समुदाय को एक संदेश देने के रूप में देखा जा रहा है। न्यूयॉर्क में 25,000 भारतवंशियों को संबोधित करने की उनकी योजना भी इस दिशा में एक कदम हो सकता है।
ट्रम्प-मोदी के गहरे संबंध
ट्रम्प और मोदी के संबंध हमेशा मजबूत रहे हैं। 2019 में ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में मोदी ने 12 मिनट तक ट्रम्प की जमकर तारीफ की थी। उन्होंने कहा था, “ट्रम्प पूरी दुनिया में लोकप्रिय हैं। उन्हें हर कोई जानता है।” ट्रम्प ने भी मोदी को ‘फैंटास्टिक मैन’ कहकर संबोधित किया। इसके बाद, 2020 में भारत के अहमदाबाद में आयोजित ‘नमस्ते ट्रम्प’ कार्यक्रम में ट्रम्प और मोदी ने एक साथ हाथ पकड़कर स्टेडियम का चक्कर लगाया था। हाल ही में ट्रम्प ने कहा था कि वह पीएम मोदी से मिलने के इच्छुक हैं जब वह अमेरिका आएंगे।
कमला हैरिस और भारत की विरासत
कमला हैरिस, जो भारतीय मूल की हैं, अपने भाषणों में भारत की विरासत का जिक्र करती रहती हैं। 2021 में जब मोदी ने पहली बार कमला से मुलाकात की, तब उन्होंने कमला को भारत आने का निमंत्रण दिया था, लेकिन वे अब तक भारत नहीं आईं। हालांकि, 2023 में जब मोदी फिर से अमेरिका गए, तो कमला ने उनके लिए एक लंच होस्ट किया और अपने भाषण में भारत की विरासत का जिक्र किया, पर मोदी का जिक्र कम किया।
कमला ने भारत के कोरोना से निपटने और आर्थिक तरक्की की प्रशंसा की थी। पीएम मोदी ने भी अपने स्वागत के लिए कमला हैरिस का धन्यवाद किया था। हालांकि, कमला का भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का रुख नरम रहा है, जबकि ट्रम्प का दृष्टिकोण कड़ा और स्पष्ट था।
वीजा नीतियों पर कमला और ट्रम्प का रुख
वीजा पॉलिसी के मामले में कमला हैरिस का रुख ज्यादा लचीला है, जबकि ट्रम्प ने H-1B वीजा पर प्रतिबंध लगाया था। भारतीय समुदाय के लिए, कमला की वीजा नीतियां ट्रम्प से बेहतर मानी जाती हैं। ट्रम्प का कहना था कि H-1B वीजा अमेरिकी नौकरियों के लिए नुकसानदायक है, जबकि कमला हैरिस इसे प्रवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर मानती हैं।
व्यापारिक संबंधों पर ट्रम्प का कड़ा रवैया
व्यापार के मुद्दों पर ट्रम्प का रवैया भारत के लिए नुकसानदेह रहा है। उन्होंने भारत को ‘स्पेशल बिजनेस पार्टनर’ की श्रेणी से बाहर कर दिया था। इस फैसले से भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों पर असर पड़ा, क्योंकि यह श्रेणी भारत को बिना टैक्स के हजारों उत्पाद अमेरिका में बेचने की अनुमति देती थी। ट्रम्प का मानना था कि भारत इस व्यवस्था का अनुचित लाभ उठा रहा था।
कश्मीर और मानवाधिकार पर कमला का रुख
कश्मीर मुद्दे और मानवाधिकार पर कमला का रुख भारत से मेल नहीं खाता है। 2019 में आर्टिकल 370 के हटाए जाने के बाद, कमला ने कश्मीर के हालात पर चिंता जताई थी। हालांकि, उपराष्ट्रपति बनने के बाद, कमला ने इस मुद्दे पर कोई विवादास्पद बयान नहीं दिया है। इसके विपरीत, ट्रम्प ने इस मुद्दे पर भारत का खुलकर समर्थन किया।
चीन को काउंटर करने में कौन बेहतर?
चीन को काउंटर करने के मुद्दे पर, ट्रम्प और कमला दोनों ही उम्मीदवारों का दृष्टिकोण समान है। ट्रम्प चीन पर कड़े बयान देते रहे हैं, लेकिन बाइडेन प्रशासन ने भी चीन के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं। सेमीकंडक्टर और सोलर सेल जैसी इंडस्ट्री पर 100% तक टैरिफ लगाने के फैसले से भारत को लाभ हो सकता है। पीएम मोदी सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को भारत में लाने के लिए जोर दे रहे हैं, और चीन के खिलाफ यह कदम भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है।
कौन बेहतर, कमला या ट्रम्प?
आखिरकार, यह कहना मुश्किल है कि कमला हैरिस या डोनाल्ड ट्रम्प में से कौन भारत के लिए बेहतर होगा। दोनों ही प्रशासन के तहत भारत-अमेरिका संबंधों में ज्यादा बदलाव की संभावना नहीं है। हालांकि, कुछ मुद्दों पर नीतिगत भिन्नताएं दिख सकती हैं, लेकिन कुल मिलाकर भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक, सैन्य, और कूटनीतिक रिश्ते प्रगाढ़ होते रहेंगे।