उत्तर प्रदेश सरकार ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम (FSSA) 2006 की धारा 56 के तहत कार्रवाई शुरू करने का निर्णय लिया है। इस कानून के तहत, प्रशासन अब थूककर या अन्य गंदे पदार्थों की मिलावट करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। इसके अलावा, ‘वैरिफिकेशन प्रोसेस’ के तहत ढाबा मालिकों को अपने और उनके कर्मचारियों के नाम प्रमुखता से डिस्प्ले करने होंगे।
नई दिल्ली: क्या योगी आदित्यनाथ के रेस्टोरेंट और ढाबा मालिकों के नाम बताने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर रोक लगा सकता है? इस सवाल का जवाब है नहीं। उत्तर प्रदेश सरकार का हाल ही में जारी किया गया आदेश खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम (FSSA) 2006 की धारा 56 के तहत है। इसके अनुसार, यदि कोई व्यक्ति थूककर या किसी अन्य गंदे तरीके से खाद्य सामग्री में मिलावट करता है, तो प्रशासन के पास कार्रवाई करने का अधिकार है।
इस कानून के अंतर्गत, ढाबा मालिकों को अपने और उनके कर्मचारियों के नाम प्रमुखता से डिस्प्ले करना होगा। कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानदारों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के लगभग दो महीने बाद, योगी सरकार ने यह नया आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत, राज्य खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, पुलिस और स्थानीय प्रशासन की संयुक्त टीमें इसे लागू करेंगी।
यूपी के अधिकारियों का कहना है कि यदि कोई इन नियमों का पालन नहीं करता है, तो भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) की अगुवाई में कार्रवाई शुरू की जाएगी। FSSAI एक लाइसेंसिंग संस्थान है जो देशभर में खाद्य सुरक्षा को नियंत्रित करता है।
क्या है धारा 56?
FSSA की धारा 56 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति भोजन की कोई चीज बनाता है या बनवाता है और वह दूषित होती है, तो उस पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यदि खाद्य मिलावट से कोई व्यक्ति घायल होता है या मृत्यु होती है, तो कानून में छह महीने से लेकर आजीवन कारावास और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
योगी सरकार का नया आदेश:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मानव अपशिष्ट या गंदे पदार्थों की मिलावट करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने प्रदेश के सभी होटलों, ढाबों और रेस्टोरेंट्स की गहन जांच और सत्यापन करने का आदेश दिया है। सीएम ने कहा कि हाल के दिनों में देश के विभिन्न हिस्सों में जूस, दाल और रोटी जैसी खाद्य वस्तुओं में मानव अपशिष्ट की मिलावट की घटनाएं सामने आई हैं, जो बेहद चिंताजनक हैं।
सीएम ने स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस प्रबंध किए जाने की आवश्यकता है, ताकि आम जनता के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।