महाराष्ट्र में पहली बार 6 बड़ी पार्टियों के बीच मुकाबला: 20 नवंबर को एक चरण में चुनाव होंगे, और नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। इस बार का चुनाव पिछले विधानसभा चुनावों से अलग है, जहां बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था।
2019 से अब तक क्या-क्या बदला
2019: उद्धव ठाकरे का पाला बदलना
2019 के विधानसभा चुनावों के बाद, उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से अलग होकर कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। इसका मुख्य कारण बीजेपी के साथ बढ़ते मतभेद थे। उद्धव ने कहा, “वो हमसे झूठ बोल रहे थे। उनकी कथनी और करनी में अंतर है।” इस प्रकार, 28 नवंबर 2019 को उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और वे ठाकरे परिवार के पहले सदस्य बने जो किसी संवैधानिक पद पर बैठे।
2022: एकनाथ शिंदे की बगावत
मई 2022 में, एकनाथ शिंदे ने 39 विधायकों के साथ बगावत कर दी। इस दौरान, उद्धव ठाकरे को बहुमत सिद्ध करने के लिए कहा गया, और उन्होंने मुख्यमंत्री पद छोड़ने का निर्णय लिया। शिंदे ने 29 जून 2022 को मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
2023: अजित पवार की बगावत
2023 में, एनसीपी में अजित पवार ने बगावत की और 41 विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए। इससे एनसीपी भी दो धड़ों में बंट गई, जिसके परिणामस्वरूप चुनाव चिह्नों के लिए भी विवाद उत्पन्न हुआ।
चुनावी दृश्य
2024 के चुनाव में महाराष्ट्र में अब 6 प्रमुख पार्टियां हैं:
- बीजेपी
- शिवसेना (शिंदे)
- एनसीपी (अजित)
- कांग्रेस
- शिवसेना (उद्धव)
- एनसीपी (शरद)
पिछले 5 वर्षों में, मतदाताओं की संख्या भी बढ़ी है। 2019 में 8.68 करोड़ मतदाता थे, जबकि 2024 में यह संख्या 9.53 करोड़ तक पहुंच गई है।
महाराष्ट्र के आगामी चुनाव इस बात का संकेत देंगे कि राज्य की राजनीति किस दिशा में बढ़ेगी, खासकर जब 6 बड़ी पार्टियों के बीच मुकाबला हो रहा हो। यह चुनाव न केवल राजनीतिक समीकरणों को बदलने का अवसर प्रदान करेगा, बल्कि मतदाताओं की बढ़ती संख्या भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।