बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा 2024 में हुई अनियमितताओं और विवादों ने राज्य और देशभर के शिक्षाविदों, छात्रों और प्रशासनिक तंत्र को गहराई से झकझोर कर रख दिया। परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक और डीएम द्वारा एक छात्र को थप्पड़ मारने की घटनाएं ने इसे सामान्य प्रशासनिक मुद्दा नहीं रहने दिया, बल्कि यह मानवाधिकार और परीक्षा पारदर्शिता के लिए एक बड़ा सवाल बन गया।
परीक्षा का महत्व और विवाद का प्रारंभ
बीपीएससी 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा राज्य के शासनिक पदों पर नियुक्ति के लिए आयोजित की गई थी। यह परीक्षा लाखों छात्रों के लिए करियर निर्धारण का अवसर थी।
- परीक्षा में करीब 4.83 लाख उम्मीदवारों ने भाग लिया।
- परीक्षा का आयोजन 912 केंद्रों पर किया गया।
- यह परीक्षा राज्य सरकार के IAS, BDO, CDPO, जैसे महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति के लिए होती है।
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
- प्रश्नपत्र लीक का आरोप:
परीक्षा शुरू होने से पहले ही सोशल मीडिया पर प्रश्नपत्र के वायरल होने की खबरें आईं।
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- कई अभ्यर्थियों ने दावा किया कि प्रश्नपत्र पहले ही बाजार में बिक रहा था।
- कुछ केंद्रों पर छात्रों ने आरोप लगाया कि उन्हें उत्तर पुस्तिकाएं और प्रश्नपत्र समय पर नहीं दिए गए।
- केंद्रों पर अव्यवस्था:
कुम्हरार और अन्य परीक्षा केंद्रों पर समय पर परीक्षा न शुरू होने और अव्यवस्था का माहौल था।
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- ओएमआर शीट फाड़ने और विरोध प्रदर्शन की घटनाएं सामने आईं।
- कुम्हरार के बापू परीक्षा केंद्र पर स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई।
डीएम का हस्तक्षेप: थप्पड़ कांड का विवाद
घटना का केंद्र पटना का कुम्हरार का बापू परीक्षा केंद्र रहा। यहां छात्रों के प्रदर्शन ने प्रशासन को हस्तक्षेप करने पर मजबूर कर दिया।
क्या हुआ परीक्षा केंद्र पर?
- पटना के जिलाधिकारी (DM) चंद्रशेखर सिंह को प्रदर्शन रोकने और व्यवस्था बहाल करने के लिए परीक्षा केंद्र पर बुलाया गया।
- केंद्र के बाहर एम्बुलेंस फंसी हुई थी और अंदर एक सुपरवाइजर को दिल का दौरा पड़ने की खबर थी।
- स्थिति बिगड़ने पर DM ने प्रदर्शनकारी छात्रों को नियंत्रित करने की कोशिश की।
थप्पड़ विवाद कैसे बढ़ा?
- एक छात्र ने आरोप लगाया कि डीएम ने उसे थप्पड़ मारा।
- डीएम ने कहा:
“मैंने किसी को थप्पड़ नहीं मारा। मैं केवल व्यवस्था संभालने की कोशिश कर रहा था।”
- छात्रों ने इसे अभिभावकीय अत्याचार बताया और डीएम के खिलाफ नारे लगाए।
प्रश्नपत्र लीक और लाठीचार्ज के आरोप
प्रश्नपत्र लीक: कितनी सच्चाई?
- कई अभ्यर्थियों ने कहा कि परीक्षा शुरू होने से पहले ही प्रश्नपत्र के सवाल सोशल मीडिया पर वायरल हो गए।
- कुछ छात्रों ने आरोप लगाया कि परीक्षा केंद्र पर प्रश्नपत्र अंदर से लीक किया गया।
- बीपीएससी का दावा:
आयोग ने इसे छात्रों की साजिश बताया।- आयोग ने कहा कि कुछ छात्रों ने प्रश्नपत्र चुरा लिया और इसे लीक बताने लगे।
- सीसीटीवी फुटेज की जांच कराई जाएगी।
पुलिस लाठीचार्ज का मामला
- छात्रों ने कहा कि विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया।
- कई छात्रों को चोटें आईं।
- महिला छात्रों पर कार्रवाई को लेकर पुलिस की आलोचना हुई।
खान सर और छात्रों का विरोध प्रदर्शन
प्रसिद्ध शिक्षक खान सर, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में छात्रों का मार्गदर्शन करते हैं, ने छात्रों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया।
खान सर की भूमिका
- खान सर ने छात्रों की समस्याओं को उठाने के लिए पटना में प्रदर्शन किया।
- उन्होंने कहा:
“यह प्रशासन की विफलता है। छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।”
स्वास्थ्य बिगड़ना और हिरासत में लेना
- प्रदर्शन के दौरान खान सर की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा।
- पुलिस ने उन्हें कुछ समय के लिए हिरासत में लिया, जिससे छात्रों में गुस्सा और बढ़ गया।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और मानवाधिकार का मुद्दा
तेजस्वी यादव का हमला
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रशासन पर निशाना साधा।
- उन्होंने कहा:
“नीतीश सरकार की परीक्षा प्रणाली पूरी तरह से फेल हो चुकी है। अब छात्र थप्पड़ और लाठी खा रहे हैं।”
बीजेपी का रुख
भाजपा के प्रवक्ता संजय जयसवाल ने घटना की सख्त जांच की मांग की।
- उन्होंने कहा कि डीएम और प्रशासन ने पद का दुरुपयोग किया।
मानवाधिकार आयोग में शिकायत
सुप्रीम कोर्ट के वकील बृजेश सिंह ने यह मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में दर्ज कराया।
- NHRC ने घटना को गंभीरता से लेते हुए डीएम और पुलिस की भूमिका की जांच शुरू की है।
छात्रों की मांग और परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल
छात्रों की मुख्य मांगें
- परीक्षा में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
- प्रश्नपत्र लीक और अव्यवस्थाओं की निष्पक्ष जांच हो।
- डीएम और पुलिस के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
- बीपीएससी ने कहा कि परीक्षा को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने का हर संभव प्रयास किया गया।
- सीसीटीवी फुटेज और अन्य साक्ष्यों की जांच कराई जाएगी।
- दोषी छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
निष्कर्ष
यह विवाद बिहार में केवल परीक्षा प्रणाली की असफलता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह छात्रों के अधिकार, प्रशासनिक जवाबदेही, और पारदर्शिता पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है।
- अब छात्रों की उम्मीदें मानवाधिकार आयोग और राज्य सरकार से हैं।
- यदि इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हुई, तो यह सरकार और प्रशासन के प्रति विश्वास की कमी को और बढ़ा सकता है।