उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सत्संग में मंगलवार को भगदड़ में 116 लोगों की मौत

उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदराराऊ थाना अंतर्गत फुलरई मुगलगढ़ी के एक खेत में मंगलवार को साकार हरि बाबा का एक दिवसीय सत्संग चल रहा था. वहां पर बच्चों के साथ महिलाएं और पुरुष बाबा का प्रवचन सुन रहे थे. करीब पौने दो बजे सत्संग खत्म हुआ और अनुयायी बाहर निकलने लगे. इस बीच, सेवादारों ने बाबा के काफिले को निकालने के लिए करीब 50 हजार अनुयायियों को रोक लिया. जैसे ही बाबा का काफिला वहां से निकला, सेवादारों ने अनुयायियों को जाने के लिए कहा. गर्मी और उमस से परेशान अनुयायी अचानक से निकलने लगे और भगदड़ मच गयी. देखते ही देखते 116 लोगों की जान चली गयी और दर्जनों घायल हो गये. घटनास्थल पर मौजूद चश्मदीदों ने हादसे के बाद भयावह मंजर को बयां किया. एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि उमस और भीड़ में दम घुटने से अनुयायी वहीं पर बेहोश होकर गिर गये. जो गिरा, उसे लोग उसे कुचलते हुए आगे बढ़ गये. लोग एक-दूसरे को देख ही नहीं रहे थे. महिलाएं और बच्चे गिरते चले गये. भीड़ उनके ऊपर से दौड़ रही थी. कोई बचाने वाला नहीं था. चारों ओर चीख-पुकार मची हुई थी. मौके पर आये कुछ लोगों ने किसी तरह घायलों को बचाया. प्रत्यक्षदर्शी शकुंतला देवी ने बताया कि घायलों और शवों को ऑटो, बसों और ट्रकों में भर कर सिकंदराराऊ ट्रामा सेंटर (अस्पताल) पहुंचाया. अस्पताल के बाहर शव बिखरे पड़े हैं. अस्पताल में कोई व्यवस्था नहीं है. यहां न ऑक्सीजन सिलिंडर है और न ही ड्रिप लगाने वाले कर्मी. हम लोग खींच खींच कर लोगों को ले आये, उनकी सांसें चल रही थीं. एक ही डॉक्टर सभी का इलाज कर रहा था.

लापरवाही आयी सामने

एसडीएम ने सत्संग की अनुमति दी थी, लेकिन इसका अंदाजा नहीं लगाया गया कि कितने लोग आयेंगे

करीब सवा लाख से अधिक लोगों की मौजूदगी के बावजूद 72 सुरक्षाकर्मियों को ही ड्यूटी पर लगाया गया था

प्रवेश और निकास द्वार को लेकर किसी भी प्रकार की व्यवस्था नहीं थी. करीब 200 बीघा में सत्संग चल रहा था

सत्संग स्थल पर भगदड़ या किसी अनहोनी से बचाव के लिए किसी भी प्रकार की व्यवस्था नहीं की गयी थी

इलाज के अभाव में टूट गयीं कई की सांसें

एक वीडियो क्लिप में एक महिला को ट्रक में पांच-छह शवों के बीच रोते हुए देख गया. एक अन्य तस्वीर में एक वाहन में एक महिला और एक पुरुष अचेत अवस्था में लेटे नजर आये. वहीं, सीएचसी सिकंदराराऊ में लोग बेबस दिखे. एक डॉक्टर होने की वजह से घायलों को इलाज नहीं मिल पाया. इलाज के अभाव में अस्पताल के बाहर और बरामदे में घायलों की सांसें टूट गयीं. अस्पताल के सभी स्ट्रैचर, यहां तक की बेंच पर भी घायलों को लिटा दिया गया. जब जगह नहीं बची. तो अस्पताल के बरामदे में जमीन पर भी घायलों और मृतकों को लिटा दिया गया.

घटनास्थल पर बिखरे पड़े थे मृतकों के सामान

भगदड़ के बाद घटनास्थल पर मृत अनुयायियों का सामान बिखरा पड़ा था. इसे देख कर परिजन पहचान करने की कोशिश कर रहे थे. मौके पर किसी सत्संगी का भोजन की पोटली तो किसी के जूते, चप्पल, कपड़े, पानी की बोतलें पड़ी थीं. घायलों और शवों को देख कर कई लोग बेहोश होकर गिर जा रहे थे. इस दौरान स्थानीय लोग उनकी मदद कर रहे थे. वहीं, मृतकों की पहचान के लिए उनके परिजन मौके पर बिखरे सामान से मिलान करने में लगे थे. ग्रामीणों ने माइक से लापता लोगों को उनके परिजनों से मिलने के लिए काफी देर आवाज लगायी.

जमीन पर पड़ी लाशों को देख कर कई लोग हुए बेहोश

चश्मदीदों ने बताया कि सीएचसी सिकंदराराऊ के बाहर जमीन पर लाशें घंटों पड़ी रहीं. अस्पताल में कोई व्यवस्था नहीं थी. ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी कि हादसे में मारे गये लोगों के शवों को कहीं एक जगह पर रखा जा सके. जो वाहन शवों को अस्पताल ला रहे थे, वह जमीन पर ही उसे पटक दे रहे थे. परिवार के लोग जमीन पर ही बैठ कर अपनों के पास रोते बिलखते दिखे. कई लोग अपनों की जमीन पर लावरशि की तरह पड़ी लाशों को देख कर गश खाकर जमीन पर गिर पड़े. लोग रोते बिखलते स्वास्थ्य केंद्र में दाखिल हुए और अपनों की लाशों को ढूंढते नजर आये

कब-कब हाथरस जैसी घटनाएं घटीं

2005: महाराष्ट्र में सतारा के मांढरदेवी मची भगदड़ में 340 लोगों की मौत हो गयी थी.

2008: राजस्थान के चामुंडा देवी मंदिर में भगदड़ के दौरान 250 लोग मारे गये थे.

2008: हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में ऐसे ही एक हादसे में 162 लोगों की मौत हो गयी थी.

2023: इंदौर शहर में रामनवमी के दौरान एक प्राचीन बावड़ी के ऊपर लगाये गये पत्थर के स्लैब टूटने के कारण भगदड़ मच गयी, जिससे 36 लोगों की मौत हो गयी.

14 जुलाई, 2015: आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में पुष्करम त्योहार के दौरान गोदावरी नदी में मची भगदड़ में 27 लोगों की मौत हो गयी और 20 अन्य लोग घायल हो गये थे.

03 अक्तूबर, 2014 : पटना के गांधी मैदान में दशहरा उत्सव मनाये जाने के ठीक बाद मची भगदड़ में 32 लोगों की मौत हो गयी और 26 अन्य लोग घायल हो गये थे.

19 नवंबर, 2012: पटना में छठ पूजा के लिए गंगा किनारे बने अदालत घाट में बना एक अस्थायी पुल टूट गया. यहां भगदड़ मचने से 20 लोगों की मौत हो गयी थी.

14 जनवरी, 2011: केरल के इदुक्की जिले में पुलमेदु के पास सबरीमाला मंदिर के श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गयी और इसमें 104 लोगों की मौत हो गयी थी.

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