रोंगा को उनके श्रीनगर स्थित आवास से गिरफ्तार किया गया है और उनके खिलाफ जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया है। पीएसए सरकार को किसी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए एक वर्ष तक हिरासत में रखने की अनुमति देता है। रोंगा के बेटे उमैर रोंगा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा कि उन्हें बुधवार देर रात 1:1 बजे गिरफ्तार किया गया है। रोंगा गिरफ्तार होने वाले वकीलों के संगठन के दूसरे पूर्व अध्यक्ष हैं। वे बार एसोसिएशन के प्रभारी अध्यक्ष के तौर पर काम कर रहे थे, क्योंकि 2020 से सरकार ने इसके चुनाव पर रोक लगा रखी है। नजीर अहमद रोंगा को अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ आवाज उठाने और उनके राजनीतिक जुड़ाव के कारण जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा पहले भी निशाना बनाया गया था
उमैर ने कहा, ‘रात 1.10 बजे जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक टुकड़ी बिना किसी गिरफ्तारी वारंट के हमारे घर पहुंची और इतना कहा कि यह ऊपर से आदेश है। हम सदमे और गहरे संकट की स्थिति में हैं। हम सिर्फ यह उम्मीद कर सकते हैं कि यह जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के सदस्यों को डराने के लिए पीएसए के दुरुपयोग का एक और उदाहरण न हो।’ उन्होंने दो वीडियो भी पोस्ट किए, जिनमें पुलिसकर्मी जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष को ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष मियां अब्दुल कयूम को 2020 में आतंकवादियों द्वारा वकील बाबर कादरी की हत्या के सिलसिले में पिछले महीने गिरफ्तार किया गया था। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) महबूबा मुफ्ती ने भी रोंगा की गिरफ्तार की आलोचना की है। उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा, जम्मू-कश्मीर में हिंसा का चक्र बेरोकटोक जारी है, वह भी ऐसे क्षेत्रों में जहां कभी-कभार ही आतंकवाद की घटनाएं होती हैं। हर रोज सैनिक शहीद हो रहे हैं। भारत सरकार न सिर्फ आतंकवाद को खत्म करने में नाकाम रही है, बल्कि असहाय कश्मीरियों पर क्रूर कार्रवाई करके अपनी हताशा निकाल रही है। नजीर रोंगा इसके दमनकारी कार्रवाइयों का ताजा शिकार हैं। उमैर ने कहा कि परिवार को अभी तक हिरासत के आधार के बारे में नहीं बताया गया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हिरासत पर कोई टिप्पणी नहीं की। कई बार हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके रोंगा 2020 से इसके अध्यक्ष का प्रभार संभाल रहे हैं। तब सरकार ने एसोसिएशन को अपने वार्षिक चुनाव आयोजित करने से रोक दिया था। आखिरी चुनाव 2018 में आयोजित किए गए थे और सितंबर 2019 में होने थे, लेकिन जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने और उसके बाद कर्फ्यू के कारण नहीं हो सके। जब बार ने 2020 में अपने चुनावों की घोषणा की, तो सरकार ने कहा कि बार का संविधान भारत के संविधान को नहीं मानता, क्योंकि वह कश्मीर को एक विवादित क्षेत्र कहता है। रोंगा की गिरफ्तारी बार एसोसिएशन की चुनाव समिति द्वारा फिर से चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करने के कुछ दिनों बाद हुई। जब समिति को 31 जुलाई से पहले चुनाव संपन्न कराने का काम सौंपा गया, तो सरकार ने फिर से उसे चुनाव कराने से रोक दिया। बार के तीन हजार सदस्य हैं। हाल ही में लिखे एक पत्र में बार ने संकेत दिया कि उसने अपने संविधान से विवादास्पद पैराग्राफ को हटा दिया है।
रोंगा के बेटे उमैर रोंगा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा कि उन्हें बुधवार देर रात एक बजकर 10 मिनट पर गिरफ्तार किया गया है।
रोंगा गिरफ्तार होने वाले वकीलों के संगठन के दूसरे पूर्व अध्यक्ष हैं।
उमैर ने कहा कि परिवार को अभी तक हिरासत के आधार के बारे में नहीं बताया गया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हिरासत पर कोई टिप्पणी नहीं की।