उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को हरियाणा सरकार से अंबाला के पास शंभू सीमा पर लगाए गए अवरोधक हटाने का निर्देश देते हुए राजमार्ग को अवरुद्ध करने के उसके अधिकार पर प्रश्न उठाए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने हरियाणा सरकार से सवाल किया कि वह राजमार्ग को कैसे अवरुद्ध कर सकती है? हम कह रहे हैं कि अंबाला के पास वाली शंभु सीमा पर लगाए गए अवरोधक हटाओ और ट्रैफिक नियंत्रित करो। एक दिन पहले ही पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने भी हरियाणा सरकार को शंभू बार्डर फिर से खोलने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी सरकार हाईवे पर ट्रैफिक नहीं रोक सकती। सरकार का काम यातायात को नियंत्रित करना है, उसे रोकना नहीं। जजों ने पूछा कि क्या राज्य सरकार हाईकोर्ट के बार्डर को खोलने के आदेश को चुनौती क्यों देना चाहती है? सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को लताड़ लगाते हुए कहा कि आप हाईवे को बंद कैसे कर सकते हैं? कोई भी सरकार हाईवे पर ट्रैफिक नहीं रोक सकती। राज्य सरकार हाईकोर्ट के बार्डर को खोलने के आदेश को चुनौती क्यों देना चाहती है? मामले की अगली सुनवाई 19 जुलाई को होगी। दरअसल, हरियाणा सरकार को डर है कि यदि अवरोधक हटाकर रास्ता साफ कर दिया गया तो पंजाब के किसान फिर दिल्ली की तरफ कूच कर सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो हरियाणा सरकार के लिए कानून व्यवस्था की स्थिति को संभालना मुश्किल हो जाएगा और शंभू सीमा पर दोबारा फिर अवरोधकलगाने पड़ सकते हैं। हरियाणा में अक्तूबर माह में विधानसभा चुनाव हैं। इस दौरान हरियाणा सरकार किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए प्रयास कर रही है। गौरतलब है कि किसानों ने पांच महीने पहले दिल्ली मार्च का ऐलान किया था। तब से ही शंभू बार्डर बंद है।