शिकायत में कहा गया है कि छात्रावास की एक छात्रा को किसी अज्ञात व्यक्ति ने गर्भवती कर दिया, जिसके बाद उसका गर्भपात गुप्त रूप से कर दिया गया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि लड़की को परीक्षा में बैठने की भी अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने छात्रावास अधीक्षक को हटाने और उसके खिलाफ जांच की मांग की।
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के एक सरकारी आवासीय विद्यालय की नाबालिग छात्रा के गर्भवती होने और अधीक्षक द्वारा मामले को दबाने की मंशा से गर्भपात के लिए उसके घर भेजे जाने की शिकायत के बाद कलेक्टर ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि जिला प्रशासन ने विद्यालय अधीक्षक को निलंबित कर दिया है। अधिकारियों ने बताया कि पखांजूर क्षेत्र के अनुविभागीय दंडाधिकारी (एसडीएम) अंजोर सिंह पैकरा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जांच दल को दो दिनों के भीतर अपनी रपट देने के लिए कहा गया है।
उन्होंने बताया कि जिले के छोटे बेठिया गांव के सरपंच (ग्राम प्रधान) और ग्रामीणों ने शुक्रवार को स्थानीय विधायक विक्रम उसेंडी से इस संबंध में शिकायत की थी, जिसके बाद उन्होंने कांकेर जिले के कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर को इसकी जानकारी दी। शनिवार को संवाददाताओं से बात करते हुए अंतागढ़ सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले उसेंडी ने कहा कि वे बांदे क्षेत्र के दौरे पर थे, जब किसी ग्रामीण ने उनसे छोटेबेठिया क्षेत्र में लड़कियों के आवासीय विद्यालय की छात्रावास अधीक्षक के बारे में शिकायत की। उसेंडी ने बताया कि ग्रामीणों की शिकायत के अनुसार, महिला छात्रावास अधीक्षक अपनी मर्जी से छात्रावास चला रही है और कथित तौर पर छात्रावास में रहने वाली लड़कियों से जबरन काम करवाती है। अधीक्षक को छात्रावास में रात भर रुकना चाहिए, लेकिन वह छात्रावास परिसर छोड़कर अपने सोने के लिए अपने घर चली जाती हैं और लड़कियों को केवल एक महिला चपरासी के साथ छोड़ देती है।
शिकायत में कहा गया है कि छात्रावास की एक छात्रा को किसी अज्ञात व्यक्ति ने गर्भवती कर दिया, जिसके बाद उसका गर्भपात गुप्त रूप से कर दिया गया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि लड़की को परीक्षा में बैठने की भी अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने छात्रावास अधीक्षक को हटाने और उसके खिलाफ जांच की मांग की। ग्रामीणों ने यह भी दावा किया कि अधीक्षक लड़कियों को धर्म परिवर्तन के लिए चर्च भेजती थी। एक समाचार पत्र ने बताया कि छात्रावास अधीक्षक ने लड़की के गर्भवती होने की जानकारी मिलने के बाद उसे गर्भपात के लिए घर भेज दिया और इस मामले की सूचना न तो वरिष्ठ अधिकारियों को दी और न ही इस संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।