भारत में टीकाकरण की स्थिति: 2023 में 16 लाख बच्चों को नहीं मिली खुराक

भारत में 2023 में करीब 16 लाख बच्चों को टीके की एक भी खुराक नहीं मिली। इस क्रम में भारत का स्थान दूसरा है जबकि पहले स्थान पर नाइजीरिया है जहां 21 लाख बच्चों को इसी अवधि के दौरान टीके की एक भी खुराक नहीं मिली। भारत के दर्जे में हालांकि 2021 की तुलना में सुधार हुआ है, जब देश में वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक 27.3 लाख बच्चों को टीके की एक भी खुराक नहीं मिली थी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) और यूनिसेफ द्वारा सोमवार को संयुक्त रूप से प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, 2023 में नाइजीरिया में शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या सबसे अधिक 21 लाख थी। भारत के बाद अन्य देश इथियोपिया, कांगो, सूडान और इंडोनेशिया हैं। इस श्रेणी में शीर्ष 20 देशों में चीन 18वें स्थान पर है, जबकि पाकिस्तान 10वें स्थान पर है।

टीकाकरण एजंडा 2030 (आईए2030) के संदर्भ में, 2021 में शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या के आधार पर, बीस देशों को प्राथमिकता दी गई। दक्षिण एशिया क्षेत्र (रोसा) के लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या के आधार पर रैंक किए गए देशों में, 2021-2023 में भारत 1,592,000 शून्य खुराक वाले बच्चों के साथ आठ देशों में से पहले स्थान पर है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंगलवार को दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों से सभी स्तरों पर प्रयासों को और मजबूत करने का आह्वान किया, जिसमें उप-राष्ट्रीय स्तर पर अनुकूलित दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए ताकि टीकाकरण से वंचित और कम टीकाकरण वाले बच्चों की पहचान की जा सके और उनका टीकाकरण किया जा सके। दक्षिण पूर्व एशिया के लिए डब्लूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक साइमा वाजेद ने कहा कि टीकाकरण से वंचित और कम टीकाकरण वाले बच्चों की बढ़ती संख्या के कारण तत्काल और त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है।

भारत में 2023 में खसरा रोधी टीके (एमसीवी 1) की पहली खुराक न लगवाने वाले बच्चों की संख्या तीसरी सबसे बड़ी संख्या थी। यह आंकड़ा लगभग 16 लाख था। एमसीवी प्राप्त करने वाले बच्चों का प्रतिशत, ‘राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के आधार पर आमतौर पर नौ या 12 महीने में’, घटकर 93 प्रतिशत रह गया। यह 2019 की तुलना में कम है, जब आंकड़ा 95 प्रतिशत था।

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