बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी हिंसा, अब तक 114 की मौत, 1500 से अधिक घायल

बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ हिंसा भड़कने के बाद, कुल 978 भारतीय छात्र स्वदेश लौटे हैं। वहां सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ हिंसा को लेकर शनिवार को पुलिस ने ‘देखते ही गोली मारने का आदेश’ लागू कर दिया है। पूरे देश में कर्फ्यू लागू कर दिया और सैन्य बलों ने राष्ट्रीय राजधानी ढाका के विभिन्न हिस्सों में गश्त की। पड़ोसी देश में कुछ सप्ताह पहले शुरू हुई झड़पों में बांग्लादेश के 64 जिलों में से 47 में हुई हिंसा में अब तक कुल 114 लोगों की जान जा चुकी है और 1,500 से अधिक घायल हुए हैं। इस बीच, विदेश मंत्रालय ने कहा बांग्लादेश में भारतीय उच्चायोग भारतीय नागरिकों और छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबद्ध अधिकारियों के साथ निरंतर संपर्क में हैं। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, ‘अब तक 778 भारतीय छात्र विभिन्न भूमि पारगमन बिंदुओं के जरिए भारत लौटे हैं। इसके अलावा, लगभग 200 छात्र ढाका और चटगांव हवाई अड्डों के जरिए नियमित उड़ान सेवाओं के जरिए स्वदेश लौटे हैं।’ बांग्लादेश में प्रदर्शनकारी छात्र मांग कर रहे हैं कि शेख हसीना सरकार विवादास्पद नौकरी-कोटा प्रणाली को खत्म करे। समाचार एजेंसियों ने झड़पों के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना के एक विदेशी राजनयिक दौरे को रद्द करने की भी खबर दी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि बांग्लादेश में भारतीय नागरिकों की कुल संख्या लगभग 15,000 होने का अनुमान है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि ढाका में भारतीय उच्चायोग और चटगांव, राजशाही, सिलहट और खुलना में सहायक उच्चायोग भारतीय नागरिकों की स्वदेश वापसी में सहायता कर रहे हैं। मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय में, भारत- बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा तक सुरक्षित यात्रा की सुविधा प्रदान करने के लिए उच्चायोग और सहायक उच्चायोगों द्वारा उपाय किए जा रहे हैं। बयान के अनुसार, ‘विदेश मंत्रालय अपने नागरिकों की सुगम यात्रा सुनिश्चित करने के लिए नागर विमानन, आव्रजन, भूमि बंदरगाहों और बीएसएफ अधिकारियों के साथ भी समन्वय कर रहा है। ‘विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारतीय उच्चायोग और सहायक उच्चायोग बांग्लादेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे चार हजार से अधिक छात्रों के साथ नियमित संपर्क में हैं तथा उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान कर रहे हैं। नेपाल और भूटान के छात्रों को भी अनुरोध पर भारत में प्रवेश करने में सहायता की गई है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि आवश्यकतानुसार, चयनित भूमि पारगमन बिंदुओं के माध्यम से स्वदेश आने के दौरान सड़क मार्ग से उनकी यात्रा के लिए सुरक्षा की भी व्यवस्था की गई है।’ मंत्रालय ने कहा, ‘ढाका में उच्चायोग बांग्लादेश के नागर विमानन अधिकारियों और वाणिज्यिक विमानन कंपनियों के साथ समन्वय कर रहा है ताकि ढाका और चटगांव से भारत के लिए निर्बाध उड़ान सेवाएं सुनिश्चित की जा सकें, जिनका उपयोग हमारे नागरिक स्वदेश लौटने के लिए कर सकते हैं।’

क्या है मुद्दा बांग्लादेश में प्रदर्शनकारी उस प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं जिसके तहत 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में लड़ने वाले पूर्व सैनिकों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30 फीसद तक आरक्षण दिया जाता है। प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि यह प्रणाली भेदभावपूर्ण है और प्रधानमंत्री शेख हसीना के समर्थकों को लाभ पहुंचा रही है। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पार्टी ने मुक्ति आंदोलन का नेतृत्व किया था। छात्र चाहते हैं कि इसे योग्यता आधारित प्रणाली में तब्दील किया जाए। वहीं हसीना ने आरक्षण प्रणाली का बचाव करते हुए कहा कि युद्ध में भाग लेने वालों को सम्मान मिलना चाहिए भले ही वे किसी भी राजनीतिक संगठन से जुड़े हों।

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