नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को अपने बजट भाषण में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है, जिसके तहत शेयर पुनर्खरीद पर मिलने वाले लाभांश के समान कर लगाया जाएगा। यह कदम निवेशकों पर कर का बोझ बढ़ा सकता है और शेयर पुनर्खरीद में कमी का कारण बन सकता है।
नई कर नीति की घोषणा
- शेयर पुनर्खरीद पर कर: वित्त मंत्री ने बताया कि एक अक्टूबर से लागू होने वाली नई नीति के तहत, शेयर पुनर्खरीद से होने वाली आय को प्राप्तकर्ता के लाभांश के रूप में मानकर कर लगाया जाएगा। यह बदलाव निवेशकों पर अतिरिक्त कर का बोझ डाल सकता है। वर्तमान में, कंपनियों को शेयर पुनर्खरीद से हुई अतिरिक्त आमदनी पर आयकर देना पड़ता है, लेकिन नई नीति में इसे लाभांश के समान मानते हुए कर लागू किया जाएगा।
- पूंजीगत लाभ में बदलाव: इसके साथ ही, शेयरों को पुनर्खरीद के लिए शेयरधारक द्वारा की गई भुगतान राशि को पूंजीगत लाभ या हानि की गणना में जोड़ा जाएगा। इससे निवेशकों की कर देनदारी पर प्रभाव पड़ेगा और पूंजीगत लाभ या हानि की गणना में बदलाव होगा।
विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
- अमित माहेश्वरी, एकेम ग्लोबल: कर और परामर्श फर्म एकेम ग्लोबल के कर भागीदार अमित माहेश्वरी ने कहा कि इस नई कर नीति से निवेशकों पर कर का बोझ बढ़ सकता है। वर्तमान में पुनर्खरीद पर 20 फीसद कर लगता है, लेकिन नई व्यवस्था में उच्च कर दायरे वाले करदाताओं को अधिक कर देना होगा। इससे कंपनियां पूंजीगत व्यय के लिए अधिशेष निधि आवंटित करने का विकल्प चुन सकती हैं, बजाय इसके कि वे मुनाफे के वितरण के लिए पुनर्खरीद करें।
- रूप भूतरा, आनंद राठी शेयर्स एंड स्टाक ब्रोकर्स: आनंद राठी शेयर्स एंड स्टाक ब्रोकर्स के सीईओ (निवेश सेवाएं) रूप भूतरा ने इस बदलाव को देखते हुए कहा कि शेयर पुनर्खरीद में कमी आ सकती है। कंपनियां अब पूंजीगत व्यय के लिए अधिशेष निधि आवंटित करने की ओर बढ़ सकती हैं, जिससे पुनर्खरीद की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
फिनांस मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित नई कर नीति से शेयर पुनर्खरीद पर कर का बोझ बढ़ेगा, जिससे निवेशकों और कंपनियों दोनों को नए वित्तीय निर्णय लेने में अधिक सतर्कता बरतनी पड़ेगी। यह बदलाव वित्तीय बाजारों में संभावित उतार-चढ़ाव और कंपनी के पूंजी प्रबंधन रणनीतियों में बदलाव ला सकता है।