केंद्रीय सरकार द्वारा पेश की गई अग्निपथ योजना विवाद का विषय रही है। इस योजना का उद्देश्य भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना में चार वर्षों के लिए व्यक्तियों की भर्ती करना है, जिसमें 25% को बनाए रखा जाएगा और 75% को नागरिक जीवन में लौटने की अनुमति होगी। केंद्र द्वारा अग्निवीरों को उनके कार्यकाल के बाद नौकरी के अवसर प्रदान करने की आश्वासन के बावजूद, विरोध और असंतोष जारी है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राज्य सरकार की नौकरियों में अग्निवीरों के लिए 10% आरक्षण की घोषणा की है, जिसमें पुलिस और ग्रुप सी और डी की पोस्ट शामिल हैं। यह कदम अग्निवीरों को उनके चार साल के कार्यकाल के बाद रोजगार के अवसर प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य सरकार की नौकरियों में अग्निवीरों के लिए 12% आरक्षण की घोषणा की है, जिसमें पुलिस और अन्य विभाग शामिल हैं। चौहान ने यह भी आश्वासन दिया कि अग्निवीरों को विभिन्न राज्य सरकारी पदों की भर्ती में प्राथमिकता दी जाएगी।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य सरकार की नौकरियों में अग्निवीरों के लिए 5% आरक्षण की घोषणा की है, जिसमें पुलिस और अन्य विभाग शामिल हैं। धामी ने यह भी आश्वासन दिया कि अग्निवीरों को विभिन्न राज्य सरकारी पदों की भर्ती में प्राथमिकता दी जाएगी।
केंद्र ने भी अग्निवीरों के चार साल के कार्यकाल के बाद विभिन्न नौकरी के अवसरों की घोषणा की है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आश्वासन दिया है कि अग्निवीरों को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs), असम राइफल्स, और कई राज्यों में पुलिस और संबद्ध बलों में प्राथमिकता दी जाएगी।
केंद्र की आश्वासनों और राज्य सरकारों की पहलों के बावजूद, अग्निपथ योजना के खिलाफ विरोध और असंतोष जारी है। विभिन्न समूहों, जिनमें सशस्त्र बलों के इच्छुक और विपक्षी दल शामिल हैं, ने नौकरी की सुरक्षा और सशस्त्र बलों पर इसके प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त की है।
अग्निपथ योजना ने अग्निवीरों के चार साल के कार्यकाल के बाद भविष्य को लेकर चिंताओं को जन्म दिया है। कई लोगों ने नौकरी की सुरक्षा की कमी और सशस्त्र बलों पर इसके प्रभाव को लेकर प्रश्न उठाए हैं। योजना के विपक्षी तर्क करते हैं कि इससे सशस्त्र बलों में अनुभव और विशेषज्ञता की कमी होगी।
हालांकि, कई लोगों ने अग्निवीरों के समर्थन में आवाज उठाई है, यह तर्क करते हुए कि योजना व्यक्तियों को राष्ट्र की सेवा करने और मूल्यवान अनुभव प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है। केंद्र और राज्य सरकारों की पहलों का उद्देश्य अग्निवीरों को सुरक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करना है।
अग्निवीर योजना शुरू होने के बाद से ही विवाद का विषय रही है। विरोध और असंतोष के बावजूद, बीजेपी-शासित राज्यों जैसे हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड ने अग्निवीरों के लिए नौकरी कोटा और अवसरों की घोषणा की है। केंद्र की आश्वासनों और राज्य सरकारों की पहलों का उद्देश्य अग्निवीरों को सुरक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करना है। हालांकि, चिंताएँ और असमंजस बने हुए हैं, और केवल समय ही बताएगा कि अग्निपथ योजना का सशस्त्र बलों और अग्निवीरों पर असली प्रभाव क्या होगा।