स्वास्थ्य और बाल अधिकार विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि ई-सिगरेट को पारंपरिक तंबाकू उत्पादों की तुलना में स्वास्थ्यकर विकल्प के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है। इन्होंने चेताया है कि ये उत्पाद गुटखा, सिगरेट और बीड़ी जैसे पारंपरिक तंबाकू उत्पादों की लत की ओर ले जाने के लिए भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि विशेष रूप से 10 से 19 वर्ष की आयु के बच्चों को फंसाने की कोशिश हो रही है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने भी चेतावनी दी कि हमारे बच्चों को इन उत्पादों के जाल में फंसाने के लिए देशविरोधी ताकतों की ओर से इन उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने राज्यों से आग्रह किया है कि वे इस खतरे से निपटने के लिए त्वरित और कठोर उपाय करें। कानूनगो ने ‘टोबैको फ्री इंडिया’ की ओर से आयोजित एक वेबिनार में कहा कि ई-सिगरेट हमारे देश के लिए तंबाकू और ड्रग्स जितने ही खतरनाक हैं। एक बार जब कोई बच्चा इन उत्पादों का आदी हो जाता है, तो उन्हें आसानी से अन्य तंबाकू उत्पादों की ओर खींचा जा सकता है। ई-सिगरेट का निषेध अधिनियम, 2019 ई-सिगरेट और वेप जैसे सभी उत्पादों को प्रतिबंधित करता है। यह कानून इसलिए लागू किया गया क्योंकि भारत पहले से ही तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा बाजार था और ऊपर से कई विदेशी कंपनियां भारतीय बाजार में वेप और ई-सिगरेट बेचना चाह रही थीं।