उत्तराखंड के केदारनाथ क्षेत्र में हाल ही में हुई भारी बारिश ने व्यापक तबाही मचाई है। बुधवार रात की मूसलधार बारिश के कारण केदारनाथ पैदल मार्ग, विशेषकर भीमबली और लिंचौली के बीच, बुरी तरह प्रभावित हो गया। मंदाकिनी नदी के उफान ने कई पुलों और सड़क भागों को बहा दिया है, जिससे यात्रा मार्ग पर गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई है।
उत्तराखंड सरकार ने रेस्क्यू ऑपरेशन को तेज कर दिया है। अब तक 2537 यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है, जिसमें एसडीआरएफ के साथ-साथ सेना के चिनूक और एमआई-17 हेलीकॉप्टर भी शामिल हैं। हालांकि, 16 लोग अब भी लापता हैं, और उनकी खोज के लिए टीमें लगातार प्रयासरत हैं। लिंचौली और भीमबली में फंसे लोगों को शेरसी और सोनप्रयाग लाया जा रहा है, जबकि गौरीकुंड से यात्रियों को पगडंडी मार्ग से सोनप्रयाग लाया जा रहा है।
बारिश ने केदारनाथ पैदल मार्ग को कई जगह ध्वस्त कर दिया है। रामबाड़ा में दो पैदल पुल बह गए हैं और सोनप्रयाग से एक किलोमीटर आगे केदारनाथ हाईवे का 50 मीटर हिस्सा वॉशआउट हो गया है। इसके चलते प्रशासन ने केदारनाथ यात्रा फिलहाल रोक दी है। गैरसैंण में एक गर्भवती महिला की मलबे में दबकर मौत हो गई, और टिहरी नैलचामी पट्टी में एक ही परिवार के तीन लोगों की मृत्यु हुई है।
इसके अलावा, बिजली आपूर्ति भी प्रभावित रही है। चमोली, पौड़ी, और बदरीनाथ क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति ठप रही है, और केदारनाथ धाम की सोनप्रयाग से बिजली सप्लाई को गुप्तकाशी से जोड़ा गया है।
स्थानीय प्रशासन और केंद्र सरकार की टीमें इस संकट से निपटने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं। यह स्थिति उत्तराखंड में बाढ़ और भूस्खलन के प्रति सतर्कता और आपदा प्रबंधन की आवश्यकता को दर्शाती है।