सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से 77 मुस्लिम जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का दर्जा देने के आधार पर स्पष्टीकरण मांगा है। हाई कोर्ट ने इन जातियों का ओबीसी दर्जा समाप्त कर दिया था, जिसे राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से पूछा है कि किन आधारों पर 77 मुस्लिम जातियों को ओबीसी कोटा दिया गया था। हाई कोर्ट ने मई में इस आरक्षण को अवैध करार देते हुए इन जातियों को ओबीसी सूची से बाहर कर दिया था।
सुनवाई के दौरान तीखी बहस
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान बंगाल सरकार के वकील ने उच्च न्यायालय की टिप्पणियों पर तीखा विरोध जताया। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने अपनी सीमा से आगे जाकर फैसला दिया है और राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप किया है। बंगाल सरकार की वकील इंदिरा जयसिंह ने तर्क दिया कि राज्य सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों के आधार पर यह फैसला लिया था और सभी समुदायों पर विचार किया गया था।
हाई कोर्ट के आदेश पर आपत्ति
बंगाल सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की। हाई कोर्ट ने कहा था कि मुस्लिम समुदाय को राजनीतिक हितों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। सरकार का दावा है कि यह आरोप गलत है और मुस्लिम जातियों को केवल उनके धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि बंगाल में आरक्षण लागू नहीं हो पा रहा है, जिससे एक मुश्किल स्थिति उत्पन्न हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि जातियों की पहचान बिना बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग का जिक्र किए की गई है, जो सही नहीं है।
आगे की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई को लेकर सहमति जताई है और राज्य सरकार से इस संबंध में विस्तृत जवाब मांगा है। राज्य सरकार का कहना है कि उच्च न्यायालय का फैसला आरक्षण व्यवस्था को बाधित कर रहा है और इस पर पुनर्विचार की आवश्यकता है।