इस समय आषाढ़ का महीना चल रहा है और आषाढ़ शुक्ल पक्ष 6 जुलाई 2024 से गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ हो जाएगा। गुप्त नवरात्रि व्रत रखने और पूजा- अर्चना करने से दशमहाविद्या के साथ-साथ कुलदेवी को प्रसन्न करने का सबसे उत्तम समय माना गया है और कुल देवताओं को अपने अनुकूल करने का समय माना जाता है। कुल देवी और कुल देवता हमारे रक्षा कवच और सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शक माने जाते हैं।
तंत्र साधना के जानकार रमेश खन्ना बताते हैं कि आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि का समय साधकों के लिए सबसे उत्तम होता है। तंत्र साधना वाले गुप्त नवरात्रि में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। आध्यात्मिक और सात्विक साधकों के लिए भी गुप्त नवरात्रि विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ समय है। गुप्त नवरात्रि में विशेष साधनाओं द्वारा स्वयं को ऊर्जावान बनाया जा सकता है।
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार हर युग में नवरात्रि का अपना विशेष महत्त्व होता है। हर वर्ष में चार बार नवरात्रि का पुण्य-पवित्र पर्व मनाया जाता है। जिसमें दो चैत्र (वासंतीय) और गुप्त नवरात्रि शारदीय (अश्विन) नवरात्र को सौल्लास पूर्वक मनाया जाता है और दो
गुप्त नवरात्र माघ और आषाढ़ मास में मनाई हैं। सतयुग में चैत्र माह की नवरात्रि का अधिक प्रचलन था, त्रेतायुग में आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि का, द्वापर युग में माघ माह की गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व था, जबकि कलियुग में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्त्व माना जाता है।
गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की तंत्र साधना की जाती है, जिन्हें गुप्त रूप से किया जाता हैं। गुप्त नवरात्रि में अघोरी तांत्रिक गुप्त महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा करने से सभी तरह के दुख दूर होते हैं। सुख-समृद्धि आती है। गुप्त नवरात्रि में देवी मां की दस महाविद्याओं काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्तिका, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला के रूपों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याएं अत्यधिक शक्तिशाली और विशिष्ट रूप से ऊर्जावान रहती हैं और उनकी कृपा प्राप्त होने से मानव जीवन धन्य हो जाता है।
चैत्र और शारदीय नवरात्रों में दुर्गा देवी के नौ रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंध माता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की साधना की जाती है। जो सात्विक और आध्यात्मिक पूजा-अर्चना करने वाले साधकों के लिए सर्वश्रेष्ठ समय माना जाता है।
देवी उपासना करने वाले सुधीर कुमार गुप्ता कहते हैं कि गुप्त नवरात्रि की पूजा-अर्चना करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। इस साधना की गोपनीयता को बनाए रखना चाहिए और साधना की विशिष्ट परंपराओं का निर्वहन भली-भांति करना चाहिए।
आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि का समय साधकों के लिए सबसे उत्तम होता है। तंत्र साधना वाले गुप्त नवरात्रि में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। आध्यात्मिक और सात्विक साधकों के लिए भी गुप्त नवरात्रि विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ समय है।