उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के महाराजगंज कस्बे में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी, जिसमें 50 से अधिक घरों में तोड़फोड़ की गई और मुस्लिम परिवारों को गांव छोड़कर भागने पर मजबूर होना पड़ा। यह हिंसा 13 अक्टूबर को शुरू हुई थी, जो 14 अक्टूबर तक फैल गई।
कैसे भड़की हिंसा?
हिंसा की शुरुआत दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के जुलूस के दौरान हुई, जब जुलूस महाराजगंज कस्बे की एक मस्जिद के पास पहुंचा। प्रतिमा विसर्जन के लिए 100 से अधिक लोग ट्रैक्टरों पर सवार होकर DJ की धुन पर गाने बजाते हुए जा रहे थे। तभी एक युवक, रामगोपाल मिश्रा, मस्जिद के सामने एक घर की छत पर चढ़कर वहां लगा झंडा हटा कर भगवा झंडा लहराने लगा। इस घटना के बाद इलाके में तनाव फैल गया और पत्थरबाजी शुरू हो गई।
पथराव के दौरान रामगोपाल गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसे अस्पताल ले जाया गया लेकिन उसकी मौत हो गई। रामगोपाल की मौत की खबर से भीड़ और हिंसक हो गई और कई मुस्लिम घरों, दुकानों और वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया।
रामगोपाल की हत्या और भीड़ का गुस्सा
रामगोपाल की हत्या ने पूरे इलाके में माहौल को और बिगाड़ दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रामगोपाल को अब्दुल हमीद के घर में घसीटा गया और वहां उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। रामगोपाल की बहन प्रीति ने बताया कि उसके भाई के शरीर पर 15 गोलियों के निशान थे और उसकी गर्दन भी काटी गई थी। रामगोपाल की मौत की खबर सुनते ही बाजार में भगदड़ मच गई और गुस्साई भीड़ ने कई घरों और वाहनों को आग लगा दी।
मुस्लिम परिवारों ने गांव छोड़ा
हिंसा के बाद से इलाके में दहशत का माहौल है। महाराजगंज कस्बे और उसके आसपास के मुस्लिम परिवार अपने घरों को छोड़कर भागने पर मजबूर हो गए। कई घरों के दरवाजों पर ताले लगे हुए हैं, और कुछ घरों में कोई मौजूद नहीं है। पुलिस ने 20 गांवों की पहचान की है, जहां से उपद्रवी आए थे।
पुलिस का एक्शन और इलाके की स्थिति
हिंसा फैलने के बाद प्रशासन ने इलाके में कर्फ्यू जैसे हालात बना दिए। बहराइच के एसपी वृंदा शुक्ला ने बताया कि हालात पर काबू पाने के लिए 12 थानों की पुलिस, PAC और RAF की टुकड़ियों को तैनात किया गया है। पुलिस ने अब तक 25 लोगों को गिरफ्तार किया है, और 10 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है, जिनमें अब्दुल हमीद, रिंकू उर्फ सरफराज, फहीम, राजा उर्फ साहिर खान, ननकऊ, और मारुफ अली शामिल हैं।
प्रशासन ने इलाके को 12 जोन में बांटकर संवेदनशील गांवों में पुलिस तैनात की है। पुलिस ने आरोपियों की धरपकड़ के लिए चार टीमें गठित की हैं और हरदी थाना इंचार्ज एसके वर्मा और महसी चौकी इंचार्ज शिवकुमार को लापरवाही के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया है।
विसर्जन जुलूस और आगे की घटनाएं
विसर्जन जुलूस 8 किलोमीटर दूर रेहुआ मंसूर गांव से शुरू हुआ था और महाराजगंज के बाजार से होकर गुजर रहा था। जुलूस के दौरान DJ की तेज आवाज और धार्मिक झंडे को लेकर विवाद ने हिंसा का रूप ले लिया। 500 से ज्यादा उपद्रवियों ने कई मुस्लिम घरों में आग लगा दी, जिनमें से 10 घर कबिरहन पुरवा गांव में जलाए गए।
प्रभावित इलाकों में पुलिस बल तैनात
DM मोनिका रानी ने बताया कि इलाके में हालात अब नियंत्रण में हैं। संवेदनशील गांवों में पुलिस तैनात कर दी गई है और प्रशासनिक अधिकारी स्थिति पर नजर रख रहे हैं। जिन परिवारों को नुकसान हुआ है, उनकी मदद की जा रही है।
नुकसान का आकलन
हिंसा के दौरान सबसे ज्यादा नुकसान मुस्लिम समुदाय को हुआ है। कई घर जलाए गए और 50 लाख रुपए से ज्यादा की संपत्ति का नुकसान हुआ। कबिरहन पुरवा गांव के इमरान अहमद का कहना है कि उनके घर में खड़ी बोलेरो, दो बाइक और दो ट्रैक्टरों में आग लगा दी गई। उनका अनुमान है कि उन्हें 50 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
बहराइच की यह हिंसा दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान धार्मिक झंडे को लेकर शुरू हुई, जो देखते ही देखते एक बड़े सांप्रदायिक बवाल में बदल गई। इस हिंसा ने न केवल कई परिवारों की जिंदगी तबाह कर दी बल्कि शहर और गांवों में भी डर और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है। प्रशासन स्थिति को संभालने की पूरी कोशिश कर रहा है, लेकिन इस घटना ने सामुदायिक तनाव और संवेदनशीलता को फिर से उजागर कर दिया है।