Bone products and religious symbols Big fraud for consumers, Ghaziabad’s Loni and Delhi’s Janpath marketगाजियाबाद के लोनी इलाके और दिल्ली के प्रसिद्ध जनपथ मार्केट में हड्डियों से बने आर्टिफिशियल ज्वेलरी और अन्य प्रोडक्ट्स का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। इन प्रोडक्ट्स में गणेश जी की आकृति, ॐ के निशान, और अन्य धार्मिक चिह्न शामिल हैं, जिन्हें भैंस की हड्डियों से बनाया जाता है। सबसे बड़ी चिंता यह है कि इन प्रोडक्ट्स पर हड्डी से बने होने की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी जाती, जिससे ग्राहक अनजाने में इन्हें खरीद लेते हैं।
हड्डियों का उपयोग और धोखाधड़ी
गाजियाबाद के लोनी इलाके में हड्डियों से बने आर्टिफिशियल ज्वेलरी और प्रोडक्ट्स की फैक्ट्रियां मौजूद हैं। यहाँ गणेश जी की आकृति और ॐ के निशान वाली हेयर स्टिक शामिल हैं, जिन्हें भैंस की हड्डियों से बनाया जाता है। ये प्रोडक्ट्स पैकेट पर हड्डी से बने होने की कोई जानकारी नहीं देते, जिससे ग्राहक इन्हें खरीदते समय असमंजस में रह जाते हैं।
दिल्ली के जनपथ मार्केट में भी हड्डियों से बनी ज्वेलरी धड़ल्ले से बिक रही है। दुकानदारों द्वारा सही जानकारी न देने से ग्राहक धोखे में रहते हैं। हड्डियों का बुरादा नारियल का पाउडर बताकर बेचा जा रहा है, जिससे जांच के दौरान यह पकड़ में नहीं आता। सप्लायर बताते हैं कि वे हड्डी का बुरादा नारियल का पाउडर कहकर बेचते हैं, जिससे उत्पादों की असली सामग्री छुपी रहती है।
धार्मिक चिह्नों का उपयोग
धार्मिक आस्थाओं से जुड़े गणेश और ॐ जैसे चिह्नों का इस्तेमाल इन प्रोडक्ट्स पर किया जा रहा है। जब सप्लायर से पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि यह सब ग्राहकों की डिमांड पर हो रहा है। यह न केवल धोखाधड़ी है बल्कि धार्मिक भावनाओं को भी आहत कर सकता है।
बोन चाइना का प्रचलन
दिल्ली और नोएडा के बाजारों में बोन चाइना से बने कप और प्लेट्स भी बड़ी मात्रा में बिकते हैं, जिसमें हड्डियों का उपयोग होता है। लेकिन दुकानदार इस बात को छिपाते हैं और इसे केवल “बोन चाइना” लिखकर बेचते हैं। बोन चाइना प्रोडक्ट्स में 40-50% तक हड्डी पाउडर मिलाया जाता है, जिससे ये हल्के और मजबूत बनते हैं। हालांकि, इन प्रोडक्ट्स पर हड्डी से बने होने की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी जाती, जिससे ग्राहक अनजाने में इन्हें खरीद लेते हैं।
सावधानी की आवश्यकता
इस पूरी पड़ताल से यह स्पष्ट होता है कि बाजार में हड्डियों से बने प्रोडक्ट्स की पहचान करना मुश्किल है और ग्राहक अनजाने में ऐसे प्रोडक्ट्स खरीद रहे हैं। उपभोक्ताओं को जागरूक रहने की आवश्यकता है और सही जानकारी प्राप्त करने के बाद ही कोई सामान खरीदने चाहिए।
कानूनी पहल और विशेषज्ञ की राय
इस मामले में कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि जानवरों की रक्षा के लिए संविधान के आर्टिकल-48 और 51A(g) में जानकारी है। सुप्रीम कोर्ट की सीनियर एडवोकेट महालक्ष्मी पावनी ने कहा है कि जानवरों की रक्षा के लिए पशु आधारित उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि हड्डियों से बने प्रोडक्ट्स पर साफ तौर पर लिखना चाहिए कि ये हड्डी से बने हैं, ताकि धार्मिक भावनाओं की रक्षा हो सके।
सीनियर फॉरेस्ट ऑफिसर एचवी गिरीश ने बताया कि डोमेस्टिक कैटल की हड्डियों का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया से परमिशन लेनी होती है। इसके अलावा, लाइसेंस लेना अनिवार्य होता है, लेकिन कई बार दुकानदार इस प्रक्रिया को नजरअंदाज कर देते हैं।
बोन चाइना का इतिहास और निर्माण प्रक्रिया
बोन चाइना की शुरुआत 276 साल पहले इंग्लैंड में हुई थी। 1748 में लंदन के आर्टिस्ट थॉमस फ्रे ने चीनी मिट्टी की जगह हड्डियों के पाउडर से इसे तैयार किया। चीनी मिट्टी लाना महंगा पड़ता था, इसलिए थॉमस ने अपने पास उपलब्ध हड्डियों का उपयोग करके पहली बार बोन चाइना प्रोडक्ट तैयार किया। शुरुआत में इसे सिर्फ इंग्लैंड में ही बनाया गया, लेकिन बाद में यह आइडिया चीन और जापान पहुंचा। भारत में राजस्थान और गुजरात में बोन चाइना प्रोडक्ट्स ज्यादा बनाए जाते हैं।
उपभोक्ताओं के लिए सुझाव
- सतर्क रहें: किसी भी प्रोडक्ट को खरीदने से पहले उसकी सामग्री की जानकारी अवश्य प्राप्त करें।
- डॉक्यूमेंटेशन चेक करें: प्रोडक्ट पर स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए कि यह किस सामग्री से बना है।
- विश्वसनीय स्रोत से खरीदें: केवल विश्वसनीय दुकानदारों से ही प्रोडक्ट खरीदें जो सही जानकारी देते हों।
- शिकायत दर्ज करें: यदि आपको किसी प्रोडक्ट पर धोखाधड़ी का संदेह हो, तो संबंधित विभाग में शिकायत दर्ज करें।
हड्डियों से बने प्रोडक्ट्स की बढ़ती बिक्री और इनकी गलत जानकारी देना न केवल उपभोक्ताओं के लिए धोखाधड़ी है बल्कि धार्मिक और पशु संरक्षण के दृष्टिकोण से भी गंभीर मुद्दा है। सरकारी विभागों को चाहिए कि वे इस प्रकार के व्यवसायों पर नजर रखें और उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए व्यापक अभियान चलाएं। साथ ही, उपभोक्ताओं को भी सतर्क रहकर अपने अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।