अमेरिका के जो बाइडेन प्रशासन ने कहा है कि रूस के साथ संबंधों को लेकर चिंताओं के बावजूद भारत वाशिंगटन का रणनीतिक साझेदार बना रहेगा। 22वीं भारत-रूस शिखर वार्ता के के दौरान मंगलवार को पुतिन से बातचीत में मोदी ने उनसे कहा कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान युद्ध के मैदान पर संभव नहीं है और शांति के प्रयास बम और बुलेट के बीच सफल नहीं होते हैं। अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन और विदेश विभाग के प्रवक्ताओं ने रूस के साथ भारत के रिश्तों और मोदी के मास्को दौरे से जुड़े सवालों पर मंगलवार को अलग-अलग प्रतिक्रिया दी। पेंटागन के प्रेस सचिव मेजर जनरल पैट राइडर ने वाशिंगटन में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि भारत और रूस के बीच काफी लंबे समय से रिश्ते हैं। अमेरिका के नजरिए से, भारत एक रणनीतिक साझेदार है, जिसके साथ हम रूस से उसके रिश्तों को लेकर पूर्ण और स्पष्ट बातचीत करना जारी रख रहे हैं। चूंकि, यह इस हफ्ते होने वाले नाटो शिखर सम्मेलन से संबंधित है, इसलिए निश्चित रूप से, आपकी तरह ही दुनिया का ध्यान भी इस पर केंद्रित है। दूसरी ओर, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अमेरिका ‘रूस से भारत के रिश्तों को लेकर अपनी चिंताओं के बारे में’ बिल्कुल स्पष्ट रहा है। उन्होंने कहा कि हमने अपनी चिंताओं को निजी तौर पर सीधे भारत सरकार के समक्ष जाहिर किया है और हम ऐसा करना जारी रख रहे हैं। इसमें बदलाव नहीं हुआ है। भारत ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की अभी तक निंदा नहीं की है। वह लगातार बातचीत और कूटनीति के माध्यम से संघर्ष के समाधान की वकालत करता आया है। राइडर ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि अगर (रूस के) राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस यात्रा (मोदी का रूस दौरा) को कुछ ऐसे पेश करें, जिससे किसी तरह यह दिखाया जा सके कि वह बाकी दुनिया से अलग-थलग नहीं हैं, तो कोई भी आश्चर्यचकित होगा। सच तो यह है कि राष्ट्रपति पुतिन के युद्ध का विकल्प चुनने से रूस बाकी दुनिया से अलग-थलग हो गया है और उसे इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। राइडर ने कहा कि उन्हें आक्रामकता की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है।