अयोध्या और कानपुर में रिंग रोड का निर्माण होगा, जिससे इन शहरों में यातायात और परिवहन सुविधाओं में सुधार आएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया है और इस पहल को प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने देश के सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर को और सुदृढ़ करने की दिशा में ₹50,655 करोड़ की लागत वाली 8 राष्ट्रीय हाई-स्पीड रोड कॉरिडोर परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इनमें उत्तर प्रदेश के लिए 6-लेन का आगरा-ग्वालियर नेशनल हाई-स्पीड कॉरिडोर, 4-लेन की अयोध्या रिंग रोड और 6-लेन की कानपुर रिंग रोड परियोजनाएं शामिल हैं। ये परियोजनाएं न केवल यात्रा को सुगम बनाएंगी बल्कि उद्योग, व्यापार और पर्यटन को भी बढ़ावा देंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये परियोजनाएं अयोध्या धाम के विकास के साथ-साथ प्रदेश को आध्यात्मिक और आर्थिक विकास का केंद्र बनाने में भी महत्वपूर्ण साबित होंगी। श्रावण मास में इन परियोजनाओं की मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया।
अयोध्या रिंग रोड से यातायात का दबाव कम होगा
अयोध्या रिंग रोड परियोजना लगभग ₹3,935 करोड़ की लागत से तैयार की जाएगी। मंडलायुक्त गौरव दयाल ने बताया कि 67.5 किलोमीटर लंबी 4-लेन एक्सेस-नियंत्रित अयोध्या रिंग रोड हाइब्रिड एन्युटी मोड (एचएएम) पर विकसित की जाएगी। इस रिंग रोड के निर्माण से अयोध्या के आसपास से गुजरने वाले छह राष्ट्रीय राजमार्गों पर यातायात का दबाव कम होगा। एनएच 27, एनएच 227 ए, एन एच 227 बी, एनएच 330, एनएच 330 ए, और एनएच 135 ए पर यातायात का दबाव कम होगा। इसके अलावा, श्रीराम मंदिर आने वाले तीर्थयात्रियों की यात्रा भी आसान होगी और यह रिंग रोड लखनऊ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, अयोध्या हवाई अड्डे और प्रमुख रेलवे स्टेशनों से निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।
रिंग रोड का रूट मैप और ब्रिज निर्माण
अयोध्या रिंग रोड गोंडा के महेशपुर गांव से शुरू होगी और बिष्णोहरपुर होते हुए अयोध्या के मगलसी तक पहुंचेगी। इसके बाद सरायराशी से होते हुए यह बस्ती जिले के सीतारामपुर गांव तक जाएगी और फिर महेशपुर में समाप्त होगी। इस रिंग रोड पर कुल 23 ब्रिज बनेंगे, जिसमें 11 बड़े और 12 छोटे ब्रिज शामिल हैं। चार स्थानों पर रेलवे ओवरब्रिज और 22 व्हीकल अंडरपास या फ्लाईओवर का भी निर्माण होगा।
इन परियोजनाओं से न केवल यातायात व्यवस्था में सुधार होगा बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे और प्रदेश के समग्र विकास को गति मिलेगी।