खरीदारी के शुभ मुहूर्त
- सुबह: 9:00 से दोपहर 1:30 तक
- शाम: 7:25 से रात 8:55 तक
धन्वंतरि पूजा विधि और मुहूर्त
- पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 5:45 से रात 8:15 तक
- मंत्र:
“सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।”पूजा में भगवान धन्वंतरि के सामने गाय के घी का दीपक जलाएं। पूजा सामग्री में औषधियां शामिल करें। प्रसाद के रूप में औषधियां ग्रहण करने से बीमारियों में राहत मिलती है। कृष्णा तुलसी, गाय का दूध और मक्खन का भोग अर्पित करें। इस दिन प्रदोष काल में भगवान धन्वंतरि, लक्ष्मी और कुबेर की पूजा का विशेष महत्व है।
यम के लिए दीपदान की विधि और मुहूर्त
- दीपदान का समय: शाम 5:45 से रात 8:15 तक
- मंत्र:
“मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यजः प्रीतयामिति।।”दीपदान के लिए आटे का चार मुंह वाला दीपक बनाएं, उसमें सरसों या तिल का तेल डालें और घर के बाहर दक्षिण दिशा में रखें। परिवार की लंबी आयु और स्वास्थ्य के लिए यमराज से प्रार्थना करें। स्कंद पुराण के अनुसार, इस दिन यम को दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।
धनतेरस के पीछे की पौराणिक कथा
धनतेरस का त्योहार समुद्र मंथन की उस कथा से जुड़ा है जब धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण स्वर्ग श्रीहीन हो गया था, और देवताओं ने असुरों के साथ समुद्र मंथन किया। मंथन से धन्वंतरि स्वर्ण कलश में अमृत लेकर प्रकट हुए, जिससे यह दिन समृद्धि का प्रतीक माना गया।
बर्तन खरीदने की परंपरा
धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना गया है। विष्णु पुराण के अनुसार, स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। धनतेरस पर बर्तन खरीदना इस बात का प्रतीक है कि अमृत कलश भी एक प्रकार का बर्तन ही था। इस दिन से दिवाली का पांच दिवसीय दीपोत्सव शुरू होता है।
धनतेरस और सोने का महत्व
सोने को भारतीय संस्कृति में सूर्य का प्रतीक माना गया है। एक प्राचीन कथा के अनुसार, हेम राजा के पुत्र की शादी के चार दिन बाद उसकी मृत्यु की भविष्यवाणी की गई थी। उसकी पत्नी ने सोने के गहनों से यमराज का रास्ता रोक दिया और उसे बचा लिया। इस घटना के बाद से धनतेरस पर सोना खरीदने की परंपरा शुरू हुई।
प्रमुख धन्वंतरि मंदिर
- नेल्लुवई का धन्वंतरि मंदिर (त्रिशूर): इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में वसुदेव ने की थी, और इसे 5000 साल पुराना माना जाता है। नए डॉक्टर यहाँ अपने पेशे में सफलता की प्रार्थना करने आते हैं।
- थोट्ट्वा का धन्वंतरि मंदिर (अर्नाकुलम): यह मंदिर 9वीं शताब्दी का है, जिसमें धन्वंतरि की 6 फीट ऊँची प्रतिमा है। यहाँ आयुर्वेद चिकित्सक योग और ध्यान करते हैं।
- वालाजपेट का धन्वंतरि मंदिर (वेल्लोर): इस मंदिर में धनतेरस पर बीमारियों से बचाव के लिए जड़ी-बूटियों से हवन किया जाता है। इसकी स्थापना 2004 में हुई थी।
धनतेरस पर पूजा और दान का महत्व न केवल धार्मिक, बल्कि स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना से जुड़ा हुआ है।