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बुखार, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर... 53 दवाइयाँ टेस्ट में फेल, आखिर इस मिलावट की दवा क्या है?

Published on September 28, 2024 by Vivek Kumar

कैल्शियम और विटामिन D3 सप्लीमेंट्स, मधुमेह रोधी गोलियाँ और उच्च रक्तचाप की दवाइयों सहित 50 से अधिक दवाइयाँ भारत के औषधि नियामक द्वारा गुणवत्ता परीक्षण में विफल रही हैं। इस स्थिति को देखते हुए मिर्जा गालिब का एक शेर याद आता है, 'दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है, आखिर इस दर्द की दवा क्या है?' लेकिन अगर गालिब आज के हालात पर लिखते, तो वो कहते, 'इस देश को हुआ क्या है, आखिर इस मिलावट की दवा क्या है?' कारण, देश में दूध, घी, मक्खन, तेल, मसाले, जूस, सब्जियों और मिठाइयों में मिलावट के बाद अब असली दवाइयों में भी मिलावट हो गई है। हैरानी की बात ये है कि जिन कंपनियों की दवाइयाँ फेल हुई हैं, उनमें से कई ने राजनीतिक दलों को करोड़ों का चंदा बॉन्ड के माध्यम से दिया था। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश में जो लोग बड़े स्तर पर Paracetamol, PAN-D, PANTOCID और TELMA-H जैसी ब्रांडेड दवाइयाँ खाते हैं, वो भी क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गई हैं। केंद्र सरकार की ड्रग रेगुलेटरी संस्था CDSCO ने ताजा रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार:
  • Paracetamol 500 MG: बुखार के लिए जानी जाने वाली यह दवा गुणवत्ता में फेल हुई है। इसका Drug Salt मिलावट से भरा हुआ था।
  • PAN-D: यह भी टेस्ट में फेल हुई है और इसमें Drug Salt का जो Combination होना चाहिए था, वो तय मानकों के हिसाब से सही नहीं था।
  • Telma-H: उच्च रक्तचाप की दवा भी क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गई है।
  • Pantocid: पेट की समस्या के लिए मशहूर यह दवा भी नकली पाई गई है।
  • Ursocol, Defcort 6, और Pulmosil: इन दवाइयों में भी क्वालिटी की कमी सामने आई है।
यह स्थिति बेहद चिंताजनक है, खासकर जब भारत की अपनी बनाई असली दवाइयाँ भी क्वॉलिटी टेस्ट में फेल हो रही हैं। क्या लोग अब किन दवाइयों पर भरोसा कर सकते हैं? कंपनियों का चुनावी चंदा: जिन फार्मा कंपनियों की दवाइयाँ गुणवत्ता परीक्षण में फेल हुई हैं, उन्होंने किस राजनीतिक पार्टी को कितने करोड़ का चुनावी चंदा दिया था, यह भी जानना आवश्यक है। TORRENT PHARMACEUTICALS ने 77 करोड़ 50 लाख रुपये के चुनावी Bonds खरीदे थे, जिनमें से 61 करोड़ रुपये बीजेपी को मिले। इसी तरह, ALKEM Health Science ने बीजेपी को 15 करोड़ रुपये का चंदा दिया। ये खुलासे यह दर्शाते हैं कि आज जिन कंपनियों की दवाइयों में मिलावट मिली है, उन्होंने चुनावों में बड़ी-बड़ी पार्टियों को चंदा दिया।

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