बांबे हाई कोर्ट ने 2019 के गढ़चिरौली विस्फोट मामले में कथित नक्सली सत्यनारायण रानी की याचिका को बुधवार को खारिज कर दिया। इस विस्फोट में 15 पुलिसकर्मियों और एक नागरिक की मौत हो गई थी। न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने याचिका खारिज कर दी।
आदेश की विस्तृत प्रति बाद में उपलब्ध होगी। हाई कोर्ट ने जुलाई 2022 में इस मामले में रानी को जमानत दे दी थी। बाद में उसने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर मामले से बरी करने की मांग करते हुए दलील दी कि उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। गढ़चिरौली में एक मई 2019 को महाराष्ट्र पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया दल (क्यूआरटी) के सदस्यों को ले जा रहे एक वाहन को निशाना बनाते हुए ‘परिष्कृत विस्फोटक यंत्र’ (आइईडी) से उड़ा दिया गया था जिसमें 15 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई। उसी साल रानी को हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया गया। उस पर कथित तौर पर नक्सली होने और विस्फोट की साजिश में शामिल होने का आरोप है। इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजंसी (एनआइए) द्वारा की जा रही है। रानी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आइपीसी), गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और विस्फोटक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज है। एनआइए ने याचिका का विरोध करते हुए दलील दी कि प्रथम दृष्टया साक्ष्यों से पता चलता है कि वह नक्सली गतिविधियों और विस्फोट की साजिश में शामिल था।
इस विस्फोट में 15 पुलिसकर्मियों और एक नागरिक की मौत हो गई थी।