दिल्ली में मॉनसून की जबरदस्त बारिश ने शहर को जलमग्न कर दिया है। मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, जून में 228 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो पिछले 88 सालों में सबसे अधिक है। इस भारी बारिश ने न केवल राजधानी की रफ्तार को थाम दिया बल्कि जलभराव की गंभीर समस्या को भी उजागर किया।
रिकॉर्डतोड़ बारिश से जनजीवन प्रभावित
दिल्ली की सड़कों पर भारी जलभराव के कारण यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ। सोशल मीडिया पर लोगों ने डूबी हुई सड़कों और फंसी हुई गाड़ियों की तस्वीरें और वीडियो साझा किए। पहली ही बारिश ने नगर निगम की तैयारियों की पोल खोल दी, जिससे राजनीतिक हलकों में भी बयानबाजी शुरू हो गई।
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का नजरिया
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने दिल्ली में जलभराव की समस्या के लिए नालों में जमा प्लास्टिक कचरे को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने दिल्ली सरकार पर इस मुद्दे पर निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए कहा कि एकल उपयोग वाली प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बावजूद, नालों की सफाई में लापरवाही बरती जा रही है।
प्लास्टिक कचरे का असर
भूपेंद्र यादव ने कहा कि नालों में पॉलिथीन के जमा होने के कारण जलभराव हो रहा है, और यह समस्या केवल प्रशासनिक नहीं बल्कि सामाजिक भी है। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक कचरे ने पर्यावरण को बुरी तरह प्रभावित किया है और इसके समाधान के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।
मॉनसून का समय से पहले आगमन
मौसम विभाग ने बताया कि 28 जून को मॉनसून दिल्ली पहुंचा, जो सामान्य से दो दिन पहले है। सफदरजंग वेधशाला ने 24 घंटे के अंदर 228.1 मिमी बारिश दर्ज की, जो जून के महीने की औसत बारिश से तीन गुना अधिक है और पिछले 16 सालों में सबसे ज्यादा है।
समाधान की दिशा में कदम
केंद्रीय मंत्री के बयान के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली में जलभराव की समस्या का समाधान केवल प्रशासनिक उपायों से नहीं हो सकता। इसके लिए जनभागीदारी और जिम्मेदार नागरिक व्यवहार की भी जरूरत है। प्लास्टिक कचरे को कम करने और नालों की नियमित सफाई से ही इस समस्या का स्थायी समाधान संभव है।