वक्फ (संशोधन) विधेयक की जांच के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को जनता से सुझाव देने की अंतिम तारीख में केवल दो दिन बचे हैं। ऐसे में हिंदू और मुस्लिम संगठनों ने अपनी मुहिम तेज कर दी है, ताकि लोग सरकार को अपने सुझाव भेज सकें।
विहिप (विश्व हिंदू परिषद) और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) सहित कई संगठन सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स के जरिए गूगल फॉर्म्स साझा कर रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक लोग अपने विचार प्रस्तुत कर सकें।
जन जागरूकता के प्रयास
धार्मिक समूह छोटे-छोटे आयोजन कर लोगों को इस बिल और JPC के बारे में जानकारी दे रहे हैं। मुस्लिम संगठन जुमे की नमाज का उपयोग कर रहे हैं, जबकि हिंदू संगठन गणेश पूजा पंडालों, मंदिरों में शाम की आरती और आवासीय कल्याण संघों के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
AIMPLB के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने बताया कि संगठन की वेबसाइट पर एक QR कोड अपलोड किया गया है, जिसे स्कैन करके लोग वक्फ बिल पर आपत्ति दर्ज कर सकते हैं। उन्होंने बताया, “हमने 6 सितंबर की जुमे की नमाज के दौरान लोगों से इस QR कोड का उपयोग करने की अपील की और केवल दो घंटों में छह लाख लोगों ने इसका उपयोग किया।”
वक्फ बिल का विरोध
AIMPLB द्वारा तैयार किए गए संदेश में कहा गया है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक को पूरी तरह से खारिज कर दिया जाना चाहिए। पत्र में आरोप लगाया गया है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों की स्थिति को समाप्त करने और मुतवल्लियों (संपत्ति देखभालकर्ताओं) के अधिकारों को कमजोर करने के लिए बनाया गया है। साथ ही, इसे धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के रूप में भी बताया गया है।
हिंदू संगठनों का समर्थन
दूसरी ओर, हिंदू संगठनों की ओर से भी व्हाट्सएप और सोशल मीडिया के माध्यम से एक पूर्व-लिखित पत्र साझा किया जा रहा है, जिसमें लोगों से वक्फ बिल के समर्थन में अपने सुझाव भेजने की अपील की जा रही है। इसमें तमिलनाडु के तिरुचेंदुरई गांव में स्थित 1,500 साल पुराने हिंदू मंदिर का जिक्र है, जिसे वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया था। पत्र में वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण और वक्फ विवादों पर दीवानी अदालतों की सीमाओं पर भी सवाल उठाए गए हैं।
सरकार का रुख
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां लोगों को अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है, लेकिन गलत प्रचार से बचना चाहिए।”
वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर हिंदू और मुस्लिम संगठनों के बीच व्यापक जन संवाद चल रहा है, जहां दोनों पक्ष अपने-अपने हितों को सुरक्षित रखने के लिए सरकार तक जनता की राय पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।