भारतीय हॉकी टीम ने कप्तान हरमनप्रीत सिंह के दो गोल की मदद से पेरिस ओलंपिक में स्पेन को 2-1 से हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया। इस जीत के साथ भारत के खाते में इस ओलंपिक में चौथा पदक जुड़ गया। यह भारतीय पुरुष हॉकी टीम का 13वां ओलंपिक पदक है और पचास वर्षों में लगातार दो ओलंपिक में पदक जीतने का यह पहला अवसर है। भारत ने इससे पहले 1968 के मैक्सिको और 1972 के म्युनिख ओलंपिक में कांस्य पदक जीते थे।
इस मैच के साथ भारतीय गोलकीपर श्रीजेश ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कह दिया। जर्मनी के खिलाफ सेमीफाइनल में हार का गम भुलाकर भारतीय टीम ने युवेस डु मनोइर स्टेडियम पर शानदार प्रदर्शन किया। हरमनप्रीत सिंह ने 30वें और 33वें मिनट में गोल किए, जबकि स्पेन के मार्क मिरालेस ने 18वें मिनट में गोल किया।
पहले क्वार्टर में कोई टीम गोल नहीं कर सकी, और दूसरे क्वार्टर में स्पेन ने गोल किया और पेनल्टी कार्नर भी मिला जिसे रोहिदास ने बचाया। भारत को 28वें मिनट में पेनल्टी कार्नर मिला, जिसे हरमनप्रीत ने गोल में बदलकर बराबरी दिलाई। तीसरे क्वार्टर में हरमनप्रीत ने एक और गोल करके भारत को 2-1 की बढ़त दिला दी।
अंतिम पंद्रह मिनट में दोनों टीमों को कई पेनल्टी कार्नर मिले, लेकिन स्पेन का कोई भी प्रयास सफल नहीं हुआ। भारतीय हॉकी टीम की इस जीत पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी। राष्ट्रपति ने हॉकी टीम की प्रशंसा करते हुए लिखा कि यह टीम भारतीय हॉकी के पुनरुत्थान के लिए प्रशंसा की पात्र है। प्रधानमंत्री ने इसे एक ऐसी उपलब्धि बताया जिसे आने वाली पीढ़ियाँ याद रखेंगी।
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