ओड़ीशा के पुरी में बुधवार को भगवान जगन्नाथ के ‘स्वर्ण भेष’ आयोजन को देखने के लिए करीब 15 लाख लोग एकत्रित हुए। अधिकारियों ने बताया कि इस आयोजन में रथ पर विराजमान भगवान जगन्नाथ की मूर्ति को बहुमूल्य रत्नों से जड़े स्वर्ण आभूषणों से सजाया गया था। इसके साथ ही, भगवान जगन्नाथ के भाई-बहनों, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र की मूर्तियों को भी रथों पर विराजमान कर, बारहवीं शताब्दी के प्रसिद्ध मंदिर के सिंह द्वार के सामने स्वर्ण आभूषणों से सजाया गया।
सूत्रों के अनुसार, इस अवसर पर देवी-देवताओं की मूर्तियों को लगभग 208 किलोग्राम सोने के आभूषण पहनाए गए। विशेषज्ञों का कहना है कि यह परंपरा 15वीं सदी से चली आ रही है और इस विशेष श्रृंगार को ‘स्वर्ण भेष’ कहा जाता है। श्री जगन्नाथ संस्कृति के शोधकर्ता असित मोहंती के अनुसार, पुरी मंदिर में ‘स्वर्ण भेष’ अनुष्ठान 1460 में राजा कपिलेंद्र देव के शासनकाल के दौरान शुरू हुआ था। राजा ने दक्षिण भारत के शासकों से युद्ध जीतने के बाद 16 गाड़ियों में भरकर सोना ओड़ीशा लाया था और उसी समय से यह परंपरा चली आ रही है।