मॉनसून ने दक्षिण भारत में मचाया हाहाकार, पूर्वोत्तर में कम बारिश क्यों?

मॉनसून ने इस साल दक्षिण भारत में जबरदस्त तबाही मचाई है, जबकि पूर्वोत्तर भारत में बारिश की कमी देखी जा रही है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) की ताजातरीन रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण भारत में अत्यधिक बारिश ने बाढ़ और अन्य समस्याएं उत्पन्न कर दी हैं, जबकि पूर्वोत्तर राज्यों में मॉनसून की बारिश सामान्य से कम रही है, बावजूद इसके कि इन क्षेत्रों में भी बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाओं से 100 से अधिक मौतें हो चुकी हैं।

दक्षिण भारत में बाढ़ और बारिश की स्थिति

दक्षिण भारत के कई हिस्से में मॉनसून ने भारी बारिश और बाढ़ के कारण व्यापक क्षति की है। इस क्षेत्र में नदी उफान पर हैं और कई इलाकों में सड़कों और जनजीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में जुटा है, लेकिन स्थिति नियंत्रण से बाहर होती दिख रही है।

पूर्वोत्तर में कम बारिश का असर

पूर्वोत्तर भारत में इस साल की बारिश का आंकड़ा सामान्य से कम रहा है। जुलाई के अंत तक, अरुणाचल प्रदेश में 19% कम, असम में 5% कम, नागालैंड में 26% कम, मणिपुर में 48% कम, और मिजोरम और त्रिपुरा में क्रमशः 32% और 11% कम वर्षा दर्ज की गई है। इस क्षेत्र में सामान्य बारिश की अपेक्षा कम होने के कारण फसल की पैदावार और बिजली उत्पादन पर असर पड़ सकता है।

गुवाहाटी में आईएमडी के वैज्ञानिक सुनीत दास ने कहा, “पूर्वोत्तर में सामान्य बारिश के आंकड़े भारत के बाकी हिस्सों की तुलना में अधिक होते हैं। इसलिए, यहां कम बारिश का भी असर कम आंकड़ा दिखा रहा है। हमारी भविष्यवाणी के अनुसार, इस क्षेत्र में अगस्त और सितंबर में भी कम बारिश की संभावना है।”

आगे की स्थिति

आईएमडी ने भविष्यवाणी की है कि अगस्त और सितंबर में देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है, लेकिन पूर्वोत्तर भारत में बारिश की कमी की प्रवृत्ति जारी रह सकती है। इसके परिणामस्वरूप, क्षेत्रीय कृषि और बिजली उत्पादन पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।

साथ ही, सौराष्ट्र, कच्छ, लद्दाख, और कुछ अन्य क्षेत्रों में भी सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है। आईएमडी की रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि अगर बारिश की यह स्थिति जारी रही, तो इससे संबंधित क्षेत्रों में राहत कार्यों और फसल की स्थिति को लेकर गंभीर चिंताएं उत्पन्न हो सकती हैं।

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