पाकिस्तानी सेना के किसी वर्तमान प्रमुख द्वारा सार्वजनिक रूप से जनरल असीम मुनीर ने करगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना की संलिप्तता का जिक्र किया है। उन्होंने भारत के साथ 1999 के युद्ध को पूर्वी पड़ोसी के साथ लड़े गए प्रमुख युद्धों में गिनाया है। थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) मुनीर शुक्रवार को रावलपिंडी में रक्षा एवं शहीद दिवस समारोह के दौरान बोल रहे थे। करगिल युद्ध 1999 में भारत द्वारा पाकिस्तानी घुसपैठियों द्वारा कब्जा की गई सीमा चौकियों पर पुनः कब्जा करने के साथ समाप्त हुआ। भारत इस जीत का जश्न 26 जुलाई को ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाता है। अपने भाषण में जनरल मुनीर ने पाकिस्तान के लोगों के सहयोग से मातृभूमि की रक्षा में सेना की भूमिका पर प्रकाश डाला तथा करगिल युद्ध सहित भारत के साथ विभिन्न संघर्षों का भी जिक्र किया। मुनीर ने कहा, ‘वास्तव में पाकिस्तान एक साहसी और निर्भीक राष्ट्र है, जो स्वतंत्रता के महत्व को अच्छी तरह समझता है और किसी भी कीमत पर इसकी रक्षा करना जानता है। चाहे 1948, 1965, 1971 का पाक-भारत युद्ध हो या करगिल या सियाचिन संघर्ष, हजारों शहीदों ने देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए बलिदान दिया। ‘पाकिस्तान ने शुरू में यह कहकर खुद को इस संघर्ष से अलग कर लिया था कि इसमें सिर्फ निजी स्वतंत्रता सेनानी शामिल थे। लेकिन जल्द ही लड़ाई के पैमाने से पता चला कि दो देशों की सेनाएं एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रही थीं। करगिल युद्ध के दौरान तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ द्वारा 2006 में लिखी गई किताब ‘इन द लाइन आफ फायर’ में स्पष्ट रूप से पाकिस्तानी सेना की भूमिका को स्वीकार किया गया है। मुशर्रफ ने करगिल युद्ध में नार्दर्न लाइट इन्फैंट्री के जवानों को भेजा था। करगिल युद्ध समाप्त होने के बाद पाकिस्तान ने सिंध रेजिमेंट की 27वीं बटालियन के कैप्टन करनाल शेर खान और नार्दर्न लाइट इन्फैंट्री के हवलदार लालक जान को सर्वोच्च वीरता पुरस्कार निशान-ए-हैदर से सम्मानित किया। मुनीर ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि देश राजनीतिक मतभेदों को नफरत में बदलने की इजाजत नहीं देगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि सेना और जनता के बीच मजबूत संबंध, दोनों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश करने वाले किसी भी दुश्मन को हराने के लिए आधार का काम करेंगे। उन्होंने कहा, सशस्त्र बलों और राष्ट्र के बीच संबंध दिल का होता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र ने हमेशा सभी क्षेत्रों में सेना को मजबूत किया है, जिसमें प्राकृतिक आपदाओं, विदेशी शत्रुता या आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की घटनाओं में बचाव कार्य भी शामिल है। इस समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी मौजूद थे, जिसमें सेना के शीर्ष अधिकारी, वरिष्ठ सैन्य और सरकारी अधिकारी तथा सैनिकों के परिवार के लोग भी शामिल हुए।