मदरसों के छात्रों की याचिका पर केंद्र और यूपी सरकार को नोटिस जारी

सुप्रीम कोर्ट ने मदरसों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर चुके छात्रों को मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों, कालेजों या अन्य शैक्षणिक संस्थानों में स्थानांतरित करने या समायोजित करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका मदरसों में डिग्री प्राप्त करने वाले दस छात्रों ने दायर किया है। जिस पर अदालत ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड को भी नोटिस भेजा है। याचिकाकर्ताओं ने अपनी अपील में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मदरसों में संचालित ‘फाजिल और कामिल’ पाठ्यक्रमों को असंवैधानिक घोषित करने से इन पाठयक्रमों में पढ़ रहे 25,000 से अधिक छात्रों का भविष्य संकट में आ गया है। इससे पहले, 5 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने मुसलिम अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को नियंत्रित करने वाले 2004 के उत्तर प्रदेश कानून की संवैधानिक वैधता को सही ठहराया था।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि केवल धर्मनिरपेक्षता के आधार पर किसी कानून को अवैध घोषित नहीं किया जा सकता। इस फैसले के तहत अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस पूर्ववर्ती आदेश को पलट दिया था जिसमें ऐसे संस्थानों को बंद करने के निर्देश दिए गए थे। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि किसी कानून को तभी असंवैधानिक घोषित किया जा सकता है जब वह विधायी अधिकार क्षेत्र से बाहर हो या संविधान के मौलिक अधिकारों या अन्य प्रावधानों का उल्लंघन करता हो।