नई दिल्ली: चार साल में पराली जलाने की घटनाएं 50% कम हुई हैं, लेकिन समस्या अभी भी बनी हुई है। केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के मुताबिक, 2020 में 87,632 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2023 में यह संख्या 39,186 रह गई है।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली प्रदूषण मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने पराली जलाने के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई न करने के लिए CAQM को फटकार लगाई और कहा कि प्रदूषण के कारण इमरजेंसी जैसे हालात हैं। कोर्ट ने CAQM से पूछा कि पराली जलाने में क्या कोई कमी आई है और प्रभावी कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। कोर्ट ने कहा, “आपकी कार्रवाई केवल कागज पर है।”
CAQM का जवाब
CAQM के अध्यक्ष राजेश वर्मा ने जानकारी दी कि उन्होंने 82 कानूनी आदेश और 15 सुझाव जारी किए हैं। उनकी टीम ने 19,000 जगहों का निरीक्षण किया है और 10,000 से ज्यादा फैक्ट्रियों को बंद करने का आदेश दिया है। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि CAQM को और अधिक सक्रिय होना चाहिए। कोर्ट ने कहा, “तीन साल से अस्तित्व में हैं, लेकिन 82 निर्देश पर्याप्त नहीं हैं।”
केंद्र सरकार की स्थिति
केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी ने हलफनामा पढ़कर सुनाया, जिसमें पराली संकट से निपटने के लिए सलाह और दिशा निर्देशों का जिक्र किया गया। लेकिन अदालत इन कोशिशों से नाखुश नजर आई। जस्टिस ओका ने कहा, “सब कुछ तो हवा में है।”
पंजाब के किसानों के साथ हमदर्दी
पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और पंजाब सरकार से पूछा था कि प्रदूषण की समस्या को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। कोर्ट ने किसानों को विलेन नहीं बनाने की बात की और कहा कि पंजाब सरकार को उन्हें पराली जलाने से रोकने के लिए सहायता राशि देनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट का सख्त संदेश
कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण की समस्या का समाधान खोजना आपकी जिम्मेदारी है। जस्टिस एसके कॉल और एस धूलिया की बेंच ने पंजाब और दिल्ली की सरकारों से कहा कि पराली जलाने के खिलाफ सख्त एक्शन लें, जिससे दिल्ली के प्रदूषण में इजाफा होता है।
आगामी कार्रवाई और समयसीमा
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 7 दिसंबर तय की है। कोर्ट ने कहा कि अगर प्रदूषण की समस्या का समाधान नहीं किया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। हरियाणा से सीखने का सुझाव देते हुए कोर्ट ने कहा कि वहां पराली के प्रबंधन के लिए प्रभावी नीतियां लागू की गई हैं, जिन्हें अन्य राज्यों में भी अपनाया जाना चाहिए।
इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए सभी संबंधित अधिकारियों और सरकारों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं, ताकि दिल्ली-NCR क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सके।