अर्जुन बाबूता, एक युवा और प्रतिभाशाली भारतीय शूटर, ने पेरिस ओलंपिक्स में पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में अपनी प्रभावशाली प्रदर्शन के साथ सुर्खियाँ बटोरीं। चौथे स्थान पर समाप्त होने के बावजूद, बाबूता की कौशल और दृढ़ संकल्प ने भारत के शूटिंग भविष्य के लिए आशा की किरण जगा दी है।
10 फरवरी 1999 को पंजाब, भारत में जन्मे अर्जुन बाबूता ने अपनी शूटिंग यात्रा की शुरुआत कम उम्र में की। अपने पिता, एक सेवानिवृत्त सेना अधिकारी, से प्रेरित होकर बाबूता ने शूटिंग को एक शौक के रूप में अपनाया, जो जल्दी ही एक जुनून में बदल गया।
बाबूता की प्रतिभा शुरुआत से ही स्पष्ट थी, क्योंकि उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में विजय प्राप्त की। उनका महत्वपूर्ण क्षण 2018 एशियाई खेलों में आया, जहाँ उन्होंने पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल टीम इवेंट में कांस्य पदक जीता।
पेरिस ओलंपिक्स ने बाबूता को दुनिया के सबसे बड़े मंच पर अपनी क्षमताओं को दिखाने का अवसर प्रदान किया। मजबूत शुरुआत के साथ, उन्होंने पूरे प्रतियोगिता के दौरान अपनी स्थिति बनाए रखी, अक्सर दूसरे या तीसरे स्थान पर रहते हुए।
साहसिक प्रयास के बावजूद, बाबूता पदक जीतने में विफल रहे, कुल स्कोर 208.4 के साथ चौथे स्थान पर समाप्त हुए। हालांकि निराशा स्पष्ट थी, उनकी प्रदर्शन ने भारत की बढ़ती क्षमताओं को शूटिंग खेलों में दर्शाया।
“मैं अपनी प्रदर्शन पर गर्वित हूं, लेकिन मुझे पता है कि मैं बेहतर कर सकता था,” बाबूता ने मैच के बाद के साक्षात्कार में कहा। “यह अनुभव मुझे भविष्य की प्रतियोगिताओं के लिए तैयार करेगा।”
बाबूता की कोच, दीपाली देशपांडे ने अपने छात्र की सहनशीलता और कौशल की सराहना की। “अर्जुन ने अद्वितीय संभावनाएं दिखाई हैं, और यह अनुभव उन्हें और भी मजबूत बनाएगा।”
पेरिस ओलंपिक्स में बाबूता का प्रदर्शन भारत की शूटिंग खेलों में बढ़ती प्रतिभा को उजागर करता है। मजबूत समर्थन प्रणाली और इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ, भारत और भी विश्वस्तरीय शूटरों को जन्म देने की दिशा में अग्रसर है।