भारत और वियतनाम ने अपने रणनीतिक संबंधों को विस्तार देने के लिए गुरुवार को एक कार्ययोजना को मंजूरी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नियम आधारित हिंद-प्रशांत के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया और इस बात पर जोर दिया कि भारत विकास का समर्थन करता है, विस्तारवाद का नहीं। यह टिप्पणी क्षेत्र में चीन के सैन्य रुख के प्रति चिंताओं के बीच आई है। मोदी और वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह के बीच व्यापक वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए छह समझौता ज्ञापनों (MOU) पर हस्ताक्षर किए तथा तीन अन्य दस्तावेजों को अंतिम रूप दिया। यह भी निर्णय लिया गया कि भारत वियतनाम को 30 करोड़ अमेरिकी डालर की ऋण सुविधा प्रदान करेगा, ताकि दक्षिण-पूर्व एशियाई देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत किया जा सके। डिजिटल भुगतान कनेक्टिविटी शुरू करने के लिए दोनों देशों के केंद्रीय बैंकों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
चिन्ह मंगलवार रात तीन दिवसीय यात्रा पर दिल्ली पहुंचे थे। उनकी इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक संबंधों को और आगे बढ़ाना है। मोदी ने अपने मीडिया वक्तव्य में कहा, ‘हमारी ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और हमारी हिंद- प्रशांत दृष्टि में वियतनाम हमारा महत्त्वपूर्ण साझेदार है… हम विस्तारवाद का नहीं, विकासवाद का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम एक स्वतंत्र, खुले, नियम-आधारित और समृद्ध हिंद-प्रशांत के लिए अपना सहयोग जारी रखेंगे। मोदी ने कहा कि दोनों पक्षों ने आतंकवाद और साइबर सुरक्षा मुद्दों से निपटने के लिए सहयोग को मजबूत करने का फैसला किया है। मोदी ने कहा, ‘हमारा मानना है कि ‘विकसित भारत 2047’ और वियतनाम के ‘विजन 2045’ ने दोनों देशों में विकास को गति दी है। इससे आपसी सहयोग के कई नए क्षेत्र खुल रहे हैं। और इसलिए, अपनी व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए, आज हमने एक नई कार्ययोजना अपनाई है। मोदी ने कहा कि रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग के लिए नए कदम उठाए गए हैं। दोनों प्रधानमंत्रियों ने ना त्रांग स्थित टेलीकम्युनिकेशन यूनिवर्सिटी में एक आर्मी साफ्टवेयर पार्क का डिजिटल तरीके से उद्घाटन भी किया। इसे नई दिल्ली की विकास सहायता से बनाया गया है। मोदी ने कहा कि 30 करोड़ अमेरिकी डालर की स्वीकृत ऋण सुविधा वियतनाम की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेगी। उन्होंने कहा कि हम इस बात पर सहमत हैं कि आपसी व्यापार क्षमता को साकार करने के लिए आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते की समीक्षा जल्द से जल्द पूरी की जानी चाहिए। वियतनाम आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन) का एक महत्त्वपूर्ण देश है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारा मानना है कि ‘विकसित भारत 2047′ और वियतनाम के ‘विजन 2045’ ने दोनों देशों में विकास को गति दी है।