भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) ने सोमवार को विवादित भोजशाला – कमाल मौला मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर पीठ को सौंपी। रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि वैज्ञानिक जांच से स्पष्ट हुआ कि वर्तमान संरचना पहले के मंदिरों के हिस्सों से बनाई गई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि सर्वेक्षण के दौरान भोजशाला परिसर में गणेश, ब्रह्मा, नरसिंह की प्रतिमाएं मिलीं। इसके अलावा, मूर्तिकला के टुकड़ों और वास्तुशिल्प के छोटे-बड़े कार्यों का अध्ययन भी किया गया है।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 22 जुलाई को इस मामले पर सुनवाई करने का निर्णय लिया है। रिपोर्ट के साथ-साथ एएसआइ ने हाई कोर्ट के पंजीकरण को लगभग 2,000 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है।
भोजशाला का मामला हिंदू समुदाय और मुस्लिम समुदाय के बीच विवादपूर्ण है। इस संरचना के विभिन्न नामों के कारण, हिंदू समुदाय इसे वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला मस्जिद के रूप में जानता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि एएसआइ ने कुल 94 मूर्तियों का अध्ययन किया है, जिसमें गणेश, ब्रह्मा, नरसिंह जैसी विभिन्न प्रतिमाएं शामिल हैं। इसके अलावा, वास्तुशिल्प के खिड़कियों, खंभों और अन्य सशस्त्र देवताओं की मूर्तियों का भी अध्ययन किया गया है।
अदालत ने एएसआइ को विवादित स्थल पर सर्वेक्षण पूरा करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया है और अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी। इस मामले में ‘हिंदू फ्रंट फार जस्टिस’ संगठन ने विवादित विभाजन की चुनौती दी है।