सुप्रीम कोर्ट का फैसला: राज्यों के पास है खनिजों पर कर लगाने का विधायी अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि खनिजों पर देय रायल्टी कोई कर नहीं है और संविधान के तहत राज्यों के पास खदानों और खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने का विधायी अधिकार है। इस फैसले से खनिज समृद्ध राज्यों जैसे झारखंड और ओड़ीशा को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि उन्होंने केंद्र द्वारा खदानों और खनिजों पर अब तक लगाए गए हजारों करोड़ रुपए के करों की वसूली पर फैसला करने का आग्रह किया था।

फैसले के मुख्य बिंदु:

  1. रायल्टी का कर न होना: सुप्रीम कोर्ट ने 8:1 के बहुमत के फैसले में कहा कि खनिजों पर देय ‘रायल्टी’ कर नहीं है।
  2. राज्यों का विधायी अधिकार: संविधान की दूसरी सूची की प्रविष्टि 50 के अंतर्गत संसद को खनिज अधिकारों पर कर लगाने की शक्ति नहीं है। राज्यों को खदानों, खनिजों और खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने का विधायी अधिकार है।
  3. केंद्र और राज्यों की लिखित दलीलें: प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ न्यायाधीशों की पीठ ने केंद्र और राज्यों से इस पहलू पर लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा और कहा कि वह 31 जुलाई को इस मुद्दे पर फैसला करेगी।
  4. 1989 के फैसले का खंडन: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वर्ष 1989 में सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा दिया गया फैसला सही नहीं है जिसमें कहा गया था कि खनिजों पर ‘रायल्टी’ कर है।
  5. एमएमडीआर अधिनियम का संदर्भ: खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम (एमएमडीआर), 1957 राज्य को खदानों एवं खनिजों पर कर लगाने से प्रतिबंधित नहीं करता है। एमएमडीआर अधिनियम में राज्य की कर लगाने की शक्तियों पर सीमाएं लगाने वाला कोई विशिष्ट प्रावधान नहीं है।

न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना का असहमतिपूर्ण फैसला:

न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने असहमतिपूर्ण फैसला दिया और कहा कि राज्यों के पास खदानों तथा खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने का विधायी अधिकार नहीं है।

पीठ के अन्य न्यायाधीश:

  • प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़
  • न्यायमूर्ति हृषिकेश राय
  • न्यायमूर्ति अभय एस ओका
  • न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला
  • न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा
  • न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां
  • न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा
  • न्यायमूर्ति आगस्टीन जार्ज मसीह

विवादास्पद मुद्दे पर निर्णय:

पीठ ने इस विवादास्पद मुद्दे पर फैसला सुनाया कि खनिजों पर देय ‘रायल्टी’ कर है या नहीं और क्या केवल केंद्र को ही ऐसा कर लेने का अधिकार है या राज्यों को भी अपने क्षेत्र में खनिज युक्त भूमि पर कर लेने का अधिकार है।

संवैधानिक पीठ का विरोधाभास:

कोर्ट की नौ जजों की पीठ ने इस मामले की सुनवाई 27 फरवरी को शुरू की थी, क्योंकि इस मुद्दे पर संविधान पीठ के दो विरोधाभासी फैसले थे।

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