नई दिल्ली: दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को आड़े हाथों लिया। अदालत ने आयोग से पूछा कि क्या वह एक भी ऐसा निर्देश दिखा सकते हैं, जिसका उन्होंने सीएक्यूएम अधिनियम के अनुपालन में पालन किया हो।
सीएक्यूएम की विफलता पर सवाल
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ए जी मसीह की पीठ ने आयोग से कहा, “क्या समितियों का गठन किया गया है? कृपया हमें उठाए गए एक भी कदम को दिखाएं।” बेंच ने कहा कि “यह सब हवा में है” और एनसीआर राज्यों को दिए गए निर्देशों के बारे में कोई जानकारी नहीं दिखाई।
डेटा की मांग
कोर्ट ने दो दिन पहले ही सीएक्यूएम से डेटा मांगा था और कहा कि सभी अधिकारियों को उसके सवालों का जवाब देना होगा। बेंच ने स्पष्ट किया कि सीएक्यूएम द्वारा अधिनियम के एक भी प्रावधान का अनुपालन नहीं किया गया है।
कागजों पर ही कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने आयोग से कहा, “आप मूक दर्शक हैं” और पूछा कि आयोग हर तीन महीने में एक बार मीटिंग क्यों करता है। जब पराली जलाने की समस्या का जिक्र किया गया, तो सीएक्यूएम ने कहा कि “आग की घटनाओं में भारी कमी आई है।” लेकिन अदालत ने कहा कि सीएक्यूएम अधिनियम की धारा 14 के तहत कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
आगामी कार्रवाई की चेतावनी
इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए सभी संबंधित अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और प्रभावी कदम उठाने होंगे। यदि सीएक्यूएम द्वारा उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो कोर्ट और कड़े कदम उठा सकता है।