धनु संक्रांति 2024: स्नान-दान, सूर्य पूजा और खरमास का महत्व

धनु संक्रांति इस साल 15 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह दिन विशेष महत्व रखता है क्योंकि सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है, जिससे खरमास की शुरुआत होती है। इस समय मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। साथ ही, स्नान-दान और सूर्य पूजा का विशेष महत्व होता है।

धनु संक्रांति का शुभ मुहूर्त

  • धनु संक्रांति का क्षण: रात 10:19
  • स्नान-दान का मुहूर्त:
    • सुबह 5:17 से 6:12 (अति शुभ समय)
    • दोपहर 12:16 से शाम 5:26 (पुण्य काल)
  • महा पुण्य काल:
    • दोपहर 3:43 से शाम 5:26

इन मुहूर्तों में किए गए स्नान, दान, और पूजा का कई गुना पुण्य मिलता है।

धनु संक्रांति पर पूजा विधि

  1. स्नान और शुद्धि:
    • प्रातःकाल में पवित्र नदी (जैसे गंगा) में स्नान करें।
    • यदि नदी में स्नान संभव न हो, तो घर में स्नान के पानी में गंगा जल मिलाएं।
  2. सूर्य को अर्घ्य दें:
    • तांबे के पात्र में जल, लाल फूल, अक्षत (चावल), और गुड़ मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें।
  3. सूर्य पूजा:
    • सूर्य देव का ध्यान करते हुए आदित्य हृदय स्तोत्र या गायत्री मंत्र का जाप करें।
    • सूरजमुखी या गुड़हल के फूल सूर्य को अर्पित करें।
  4. दान का महत्व:
    • इस दिन अनाज, वस्त्र, धन, और तांबे के पात्र दान करें।
    • गायों को चारा खिलाना और जरूरतमंदों को भोजन कराना शुभ माना जाता है।

धनु खरमास का महत्व और पाबंदियां

खरमास, जो सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ शुरू होता है, लगभग एक महीने तक चलता है। इस दौरान कुछ विशेष कार्य वर्जित माने जाते हैं:

  • विवाह: इस समय विवाह के आयोजन नहीं किए जाते।
  • गृह प्रवेश: नए घर में प्रवेश करना शुभ नहीं माना जाता।
  • व्यवसाय: नया व्यापार या बड़ा आर्थिक निवेश करने से बचें।
  • नया निर्माण कार्य: भवन निर्माण या अन्य निर्माण कार्य स्थगित रखें।

इस समय को ध्यान, पूजा-पाठ, और परोपकार के लिए उत्तम माना गया है।

धनु संक्रांति और सूर्य पूजा का महत्व

  • सूर्य देव को नवग्रहों का राजा माना जाता है।
  • मान्यता है कि धनु संक्रांति पर सूर्य को अर्घ्य और पूजा करने से:
    • पापों का नाश होता है।
    • लंबी आयु और स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।
    • समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
    • आर्थिक समृद्धि होती है।

खरमास और मांगलिक कार्यों की पाबंदी का कारण

  • खरमास को धर्मग्रंथों में असमंजस और अशुभ काल कहा गया है।
  • इस दौरान सूर्य की स्थिति कमजोर मानी जाती है, जिससे ऊर्जा का संचार धीमा हो जाता है।
  • ऐसे समय में कोई भी बड़ा निर्णय, नया कार्य, या शुभ आयोजन करने से हानि की संभावना रहती है।

धनु संक्रांति का धार्मिक दृष्टिकोण

धनु संक्रांति के दिन:

  • भगवान सूर्य का विशेष पूजन करें।
  • भगवान गणेश, शिव, विष्णु, देवी दुर्गा, और सूर्य की आराधना करें।
  • इस दिन विधिपूर्वक सूर्य को अर्घ्य देने से:
    • सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
    • आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।
    • आत्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

सारांश

धनु संक्रांति एक पवित्र पर्व है जो ध्यान, पूजा, और दान के लिए श्रेष्ठ है। यह पर्व व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है। इस अवसर पर धर्म और कर्म का पालन करते हुए भगवान सूर्य की पूजा करें और खरमास की पाबंदियों का ध्यान रखें।

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