सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों के मुताबिक मंगलवार को जम्मू के डोडा में चार सैन्यकर्मियों की हत्या करने वाले आतंकवादी उसी समूह के हो सकते हैं, जो नौ जुलाई की शाम को सुरक्षा बलों और पुलिस पर हमला करने के बाद जंगल में भाग गए थे। सूत्रों के अनुसार सुरक्षा बल पिछले एक सप्ताह से उनकी तलाश कर रहे थे। सोमवार रात करीब नौ बजे आतंकवादियों से संपर्क हुआ जिसके बाद भारी गोलीबारी हुई, जिसमें एक कैप्टन समेत चार सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। सूत्रों का कहना है कि इलाके को घेर लिया गया है और सेना की ओर से पैरा कमांडो और पुलिस के स्पेशल आपरेशन ग्रुप सहित नए अतिरिक्त बल को वहां भेजा गया है। जमीनी टीमों को हेलिकाप्टर और ड्रोन निगरानी से मदद मिल रही है, लेकिन अभी तक आतंकवादियों का कोई सुराग नहीं मिला है। सूत्रों के मुताबिक खोज दल खतरनाक पहाड़ी इलाकों में घने जंगलों में जाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जहां चीड़ के पेड़ 200-250 फीट की ऊंचाई तक बढ़ते हैं और नीचे घने जंगली पौधे होते हैं। जंगल इतने घने हैं कि तीन-चार फीट से अधिक दूर पर छिपे किसी व्यक्ति को देखना मुश्किल है। ये घने जंगल उधमपुर के बसंतगढ़ से लेकर किश्तवाड़ जिले के पद्दार और रामबन जिले के जवाहर सुरंग तक फैले हुए हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवादी इस इलाके का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।